केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान में कहा कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को रद्द करने पर विचार करेगा, क्या है AFSPA क़ानून

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AFSPA: गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया है कि अब जम्मू कश्मीर से भी अफस्पा (AFSPA) यानी सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को हटा लिया जाएगा। इसके पहले पूर्वोत्तर के राज्यों से भी केंद्र सरकार ने इसे कई चरणों में हटाया था।

जहां से भी इस अफस्पा कानून (एएफएसपीए) को हटाया गया है वहाँ के लोगों ने राहत की सांस ली है और ईश्वर को धन्यवाद दिया है। क्या है यह सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम और क्यों इसे लेकर लोगों में दहशत रहती है, आखिर कब और किन परिस्थितियों में इसे लागू किया जाता है। प्रस्तुत है एक विश्लेषण।

कहां लागू होता है यह कानून

यह कानून राज्य सरकार के अनुरोध पर किसी अशांत क्षेत्र में लागू किया जाता है। इस कानून के तहत शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए सशस्त्र बलों की तैनाती की जाती है। देखा जाए तो यह हिंसक राजनीतिक आंदोलन से पार पाने के लिए की गई सैन्य व्यवस्था है। अफस्पा (एएफएसपीए) के तहत सशस्त्र बलों को वहाँ तैनात किया जाता है जहां स्थिति पहले से ही खराब है और इसे नियंत्रित करने के लिए सेना की जरूरत है। इसका मतलब यह भी है कि राष्ट्र विरोधी तत्वों और असामाजिक तत्वों का क्षेत्र पर पहले से ही कब्जा है।

सेना को लेकर भ्रम सेना को काम करने के लिए अफस्पा के तहत कुछ ऐसी कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाती है जो आमतौर पर पुलिस के पास नहीं होती, यानी गिरफ्तार करने और तलाशी लेने की शक्ति। यह एक भ्रांति है कि अफस्पा के तहत सेना को अपनी मनमर्जी करने की खुली छूट दी जाती है। सेना केवल केंद्र सरकार की अनुमति से ही काम करती है। सेना को झूठे आरोपों में गिरफ्तार होने के डर के बिना अपना काम करने के लिए ऐसी सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

शाह ने कहा, “हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है। इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर पुलिस को क्षेत्र में कानून- व्यवस्था बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी सौंपना है। पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। हम AFSPA हटाने के बारे में भी सोचेंगे।” शाह ने आतंकवाद विरोधी अभियानों में जम्मू-कश्मीर पुलिस की बढ़ी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना भी की।

शाह ने कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। उन्होंने कहा, “पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण दिया गया। हमने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए जगह बनाई है। गुज्जर और बकरवालों की हिस्सेदारी कम किए बिना पहाड़ियों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से विस्थापित लोगों को समायोजित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।”

शाह ने कहा कि भाजपा और पूरी संसद का मानना है कि PoK भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा, “PoK में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम दोनों ही भारतीय हैं। जिस जमीन पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया है, वो भारत की है। इसे वापस पाना हर भारतीय और कश्मीरी का लक्ष्य है।” श जम्मू-कश्मीर के युवाओं से पाकिस्तान की साजिशों से पूर रहने का आह्वन भी किया।