केंदीय मंत्री गडकरी बोले- पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर बैन नहीं लगाएगी मोदी सरकार, मोटर व्हीकल एक्ट पर भी कही ये बात..

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5 सितंबर 2019 ,नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि सरकार का पेट्रोल-डीजल के वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस तरह की बातचीत उठी है और सरकार को सुझाव मिले हैं कि पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। मैं इस बात को स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि सरकार का पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है। हम ऐसा कुछ भी नहीं करने वाले हैं।’

मोटर व्हीकल एक्ट पर बोले मंत्री गडकरी

भारी जुर्माने पर बोलते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार की इच्छा जुर्माना राशि बढ़ाने की नहीं थी। मुद्दा यह है कि ऐसा समय आना चाहिए कि जहां किसी को दंडित करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ें और सभी बिन कुछ कहे नियमों का पालन करें।

वाहन की कीमत से ज्यादा कटा लोगों का चालान

नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद से ट्रैफिक पुलिस लगातार भारी भरकम चालान काट रही है। कई बार पुलिस वाहन की कीमत से ज्यादा का चालान थमा रही है। ऐसा ही एक मामला एक स्कूटी का सामने आया है, जिसका 23 हजार रुपये का चालान काटा गया, जबकि स्कूटी की कीमत 15 हजार रुपये बताई जा रही है. इसके अलावा एक ट्रैक्टर का 59 हजार रुपये का चालान काटा गया और एक ऑटो वाले पर 32 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।

बता दें कि 24 अगस्त को गडकरी ने सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए कहा था कि केंद्र सरकार ने ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और यह फैसला परिवहन मंत्री को लेना है, न कि नीति आयोग को। नीति आयोग ने प्रस्ताव दिया था कि तिपहिया वाहनों को 2023 और 150 सीसी से कम क्षमता वाले दो पहिया वाहनों को 2025 तक सड़कों से हटा कर उनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन लाए जाएं।

नीति आयोग के इस कदम की ऑटोमोबाइल जगत में काफी आलोचना हुई थी। जिसका असर यह हुआ कि ऑटो इंडस्ट्री को 20 साल बाद जबरदस्त मंदी का सामना करना पड़ा। नितिन गडकरी ने कहा कि परिवहन मंत्री होने के नाते मैंने नीति आयोग के बहुत से प्रस्तावों को मंजूरी दी है, लेकिन इस मामले में मैं परिवहन मंत्री हूं और फैसला मुझे लेना है, न कि नीति आयोग को।

इस साल जून में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अगुवाई में बनी स्टीयरिंग कमेटी ने जारी रिपोर्ट में कहा था कि इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़क पर उतारने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम किया जाए, साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को कम करने के लिए देश में ही फैक्टरियां लगा कर बैटरियों का निर्माण किया जाए।