ऐंबुलेंस के इंतजार में घंटेभर पड़ा रहा महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर.. जानिए उनके बारे में..

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पटना। देश के जाने-माने गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह का 74 वर्ष की अवस्‍था में निधन हो गया है। सिंह बिहार के पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में भर्ती थे। राजधानी पटना के कुल्‍हरिया इलाके में रहने वाले सिंह की गुरुवार को अचानक तबीयत होने के बाद हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। पटना में महान गणितज्ञ वशिष्‍ठ नारायण सिंह के निधन के बाद पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल प्रशासन की ओर से घोर लापरवाही सामने आई। वशिष्‍ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर करीब एक घंटे तक ऐंबुलेंस के इंतजार में अस्‍पताल के बाहर पड़ा रहा। इस शर्मनाक घटना के मीडिया में आने के बाद उन्‍हें ऐंबुलेंस मुहैया कराया गया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वशिष्ठ के निधन पर दुख जताया और कहा कि वशिष्ठ बाबू के निधन से बेहद दुख हुआ है। उन्होंने अपने ज्ञान से पूरे बिहार का नाम रोशन किया है। लेकिन मुख्यमंत्री के श्रद्धांजलि देने के बाद भी बिहार सरकार उनके पार्थिव शरीर के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था तक नहीं करा पाई।

कैसे आए नजर में..

– वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के बसंतपुर गांव में 2 अप्रैल 1942 में हुआ था। वह अपने परिजनों के संग पटना के कुल्हरिया कॉम्प्लेक्स में रहते थे। जिंदगी के आखिरी दिनों में भी किताब, कॉपी और पेंसिल से उनकी अच्छी दोस्ती थी।

– खबरें हैं हिंदी फिल्म प्रोड्यूसर प्रकाश झा उनपर एक फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं। आपको बता दें, उन्होंने आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी। उनके बारे में कहा जाता है कि नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक था।

– BBC की रिपोर्ट के अनुसार जब वह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान वह बतौर छात्र गलत पढ़ाने पर वह अपने गणित के प्रोफेसर को टोक देते थे। इसके बारे में जब कॉलेज के प्रिंसिपल को जानकारी मिली तो उन्होंने वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा को देखने के लिए उनकी अलग से परीक्षा ली। जिसके बाद उन्होंने सारे अकादमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए थे।

–  जब वह वशिष्ठ नारायण सिंह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे तो उस दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें बरकली आ कर रिसर्च करने का निमंत्रण दिया। 1965 में वशिष्ठ नारायण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में रिसर्च के लिए चले गए थे।

–  साल 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। आपको बता दें, उन्होंने नासा में एक गणितज्ञ के रूप में काम किया था, बाद में उनका मन नहीं लगा और  वह वापस 1971 में भारत लौट आए।

–  इसके बाद उन्होंने पहले IIT कानपुर, बॉम्बे, और फिर ISI कोलकाता में नौकरी की।