सियासत का जंग अभी थमा नहीं.. सिंहदेव के लौटने के बाद ही साफ होगी स्थिति.. रायपुर एयरपोर्ट में हुए CM भूपेश के भव्य स्वागत के कई मायने.. पढ़िए एनालिसिस स्टोरी…

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दिल्ली/रायपुर। सियासत के जंग में भले ही आज सेमीफाइनल का जश्न मनाया गया हो लेकिन जीत फाइनल में विजय पाने वाले की ही होगी। दरअसल यह संदर्भ छत्तीसगढ़ की सियासत पर कहा जा रहा है। पिछले 2 दिनों से छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में एक ही चर्चा हो रही है आखिर छत्तीसगढ़ में क्या होगा।

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जो शायद पहली 15 साल की भाजपा सरकार और उससे पूर्व 3 साल की कांग्रेस सरकार में कभी नहीं देखा गया। क्योंकि ना कभी जोगी सरकार में और ना कभी रमन सरकार में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर सुगबुगाहट हुई हो। लेकिन यह पहला मौका है जब छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर दो दिग्गज नेताओं के बीच समझौता हुआ हो। हालांकि यह बात कभी सार्वजनिक तौर पर किसी जिम्मेदार नेता ने नहीं कही। यही वजह है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव खुलकर अपनी बात ना तो किसी बड़े नेता के पास रख सके और ना ही मीडिया के समक्ष। सिवाय तात्कालिक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के।

दबी जुबान में खुलकर ऐसी बातें कर रहे हैं भूपेश और टीएस सिंहदेव के समर्थक

छत्तीसगढ़ के कोने-कोने में हर दूसरा आदमी इस बात पर चर्चा कर रहा है कि आखिर छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री बदलेंगे या नहीं। राहुल गांधी का अचानक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के दिन उन्हें दिल्ली बुलाना छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया और ऐसे समय में जब स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिल्ली में ही बैठे हो।

इधर छत्तीसगढ़ में समर्थकों की बात करें तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समर्थकों का मानना है कि नेतृत्व परिवर्तन नहीं होना चाहिए। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में अनेकों विकास कार्य किए जा रहे हैं। माटी पुत्र किसान के बेटे भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री होना चाहिए ऐसे तमाम शब्दों के साथ भूपेश बघेल का समर्थन कर रहे हैं। तो टीएस बाबा के समर्थक ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर (जो कभी सार्वजनिक तौर पर नहीं बोली गई) आस लगाए हुए बैठे हैं कि आखिर बाबा की ताजपोशी कब होगी। उनके समर्थक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि 2018 का विधानसभा चुनाव जिताने से लेकर सरकार बनने के ढाई साल तक अपनी बारी का शांति से इंतजार कर रहे टीएस बाबा के साथ आखिर नाइंसाफी क्यों?

हालांकि अभी इस बात को समझना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव अभी भी दिल्ली में ही है। वापस लौटने तक इंतजार करना चाहिए। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है इस बार टीएस सिंहदेव इतनी आसानी से समझौता नहीं करेंगे। और अगर किसी बात पर समझौता हो भी गया तो उसे आलाकमान से सार्वजनिक करा कर ही लौटेंगे। भले ही आज भूपेश बघेल रायपुर लौटे और जिस तरीके से उनका भव्य स्वागत किया गया वह अपने आप में ऐतिहासिक ही है। मानो कोई बड़ा फैसला आलाकमान से अपने पक्ष में कर आए हो। लेकिन इस बात की पुष्टि होनी चाहिए थी इसलिए बाबा के आने तक का इंतजार सिंहदेव के समर्थकों को रहेगा। मुख्यमंत्री जी के वापस लौटने के कई कारण हो सकते हैं। सीएम पद की कई जिम्मेदारियां होती है, अनावश्यक अपना समय व्यर्थ नहीं कर सकते और एक बात यह भी हो सकती है कि वे पूरी तरह से आश्वस्त हो चुके हैं कि अब उनको मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का संकेत मिल चुका हो। शायद यही वजह है कि आज उनके रायपुर आने पर भव्य स्वागत किया गया। हजारों की संख्या में कैबिनेट मंत्री, विधायक निगम मंडल के अध्यक्ष से लेकर आम कार्यकर्ता एयरपोर्ट पहुंचे थे।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस भीड़ के दो मायने हो सकते हैं। एक यह कि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता सिर्फ इस बात से देखी जा सकती है कि छत्तीसगढ़ में कथित ढाई ढाई साल के फार्मूले की बात करने पर हजारों लोग एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं तो अगर इस पर फैसला हुआ तो पूरे छत्तीसगढ़ में क्या होगा। दूसरा मायने यह निकाला जा रहा है कि वाकई में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सियासी जंग में फाइनल में जीत हो गई है। इसलिए इस बात को सार्वजनिक ना करते हुए हाईकमान इस चैप्टर को क्लोज करना चाहती है।