कौन डूबेगा किसे पार उतरना है जफर.. फैसला वक्त के दरिया पर उतर कर होगा…

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय

आजादी के समय 2 गुजराती चर्चा में रहे थे। एक थे मोहनदास करमचंद गांधी और दूसरे थे सरदार वल्लभ भाई पटेल। महात्मा गांधी देश के नीति निर्धारक की भूमिका में थे तो तत्कालीन गृहमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने उनकी नीतियों को क्रियान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू तो बतौर प्रथम प्रधानमंत्री देश को एक नई दिशा दी थी।

पर अभी और दो गुजरातियों की चर्चा भारत में तेज है। एक है प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी तथा दूसरे हैं देश के गृहमंत्री अमित शाह। दोनों की मिली -जुली नीतियों से देश बेचैन है ये नया भारत बनाने प्रयासरत हैं और उनकी नीतियों तथा कार्यक्रमों से आम जनता परेशानी का अनुभव कर रही है क्यों…।

मोदी-शाह पता नहीं क्यों आम जनता को लाइनों में खड़ा करना चाहते हैं? मोदी के पिछले कार्यकाल में पहली बार आधार कार्ड बनाने आम-खास लोग लाइन में खड़े हुए थे, दूसरी बार गरीब-गुरबा को जनधन खाते खुलवाने के लिए लाईन में लगवाया गया तीसरी बार पूरा देश नोटबंदी की लाईन में खड़ा हो गया।

इससे भी मन नहीं भरा तो अब मोदी जी के दूसरे कार्यकाल में देश को फिर लाईन में लगाने की योजना बना ली है और इसी का अभी से पूरे देश में विरोध हो रहा है कई राज्यों के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़), कमलनाथ (मध्यप्रदेश), अशोक गहलोत (राजस्थान) सहित केजरीवाल (दिल्ली), ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), नीतिश कुमार (बिहार), उद्धव ठाकरे (महाराष्ट्र), सोरेन (झारखंड) आदि इसका विरोध भी कर चुके हैं। दरअसल मोदी-शाह की जोड़ी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) लागू करने की बात कर रहे हैं वहीं अभी सरकार का मन नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एन.आर.सी.) पर देश पर मचे घमासान से भरा नहीं है ऐसा लगता है।

एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डाटाबेस बनाना बताया जा रहा है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी यानि संभव है कि एक बार फिर से देश भर में आपको लाइन में लगकर अपने हाथों की ऊंगलियों और पुतलियों की छाप देना होगा… आप पूछ सकते हैं कि फिर आधार कार्ड क्यों बनवाये गये थे लेकिन इस बात का जवाब अभी तक नहीं आया है। ऐसा माना जा रहा है कि एनपीआर के जरिये एनआरसी लागू की जाएगी इसलिए बंगाल, केरल, असम सहित देश में इसका बड़ा विरोध हो रहा है। एनपीआर के लिए गणना अप्रेल 2020 में शुरु होकर सितंबर 2020 में समाप्त होगी। निवासियों की एक सूची तैयार होने के बाद उसी सूची से नागरिकों के सत्यापन के लिए एक राष्ट्रव्यापी एनआरसी को शुरू किया जा सकता है। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि एनपीआर में अपना नाम शामिल होना आपकी नागरिकता का सबूत नहीं है क्योंकि इसमें विदेशी नागरिक भी अपना नाम दर्ज करवा सकता है। यानि 6 माह से भारत में रह रहा बंगलादेशी, पाकिस्तानी घुसपैठिया भी अपना नाम दर्ज करा सकता है। आप पूछेंगे कि फिर एनपीआर बनाने काक्या मतलब है?…. तो इस बात का मतलब मोदी-शाह ही बता सकते हैं पर आप तो 2020 में फिर एक बार लाइन में लगने तैयार रहें…।

कांग्रेस का जादू बरकरार….

नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम से कांग्रेस खुश है तो भाजपा में मायूसी का आलम है। 13 महीनों की कांग्रेस की सरकार में कांग्रेस का जादू बरकरार दिख रहा है हालांकि लोकसभा चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा में अब निकाय चुनाव के परिणाम के बाद नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। वहीं भूपेश बघेल के नेतृत्व को कांग्रेस सफल ठहरा रही है। आलम यह है कि 10 नगर निगमों में कांग्रेस का महापौर बन सकता है। अंबिकापुर, चिरमिरी तथा जगदलपुर में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है तो कोरबा में भाजपा के पार्षदों की संख्या अधिक है पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़, धमतरी में निर्दलियों से समर्थन लेकर कांग्रेस अपना महापौर बना सकती है। रायपुर में तो तीसरी बार लगातार डॉ. किरणमयी नायक, प्रमोद दुबे के बाद कांग्रेस का महापौर बनना तय माना जा रहा है। जहां तक नगरपालिकाओं के चुनाव परिणाम की बात है तो 38 में 18 कांग्रेस 17 में भाजपा तथा 3 में निर्दलीय/अन्य का दबदबा है तो 103 नगर पंचायतों में 52 में कांग्रेस 36 में भाजपा को स्पष्ट बहुमत है, 10 स्थानों पर बराबरी की स्थिति है तथा 5 स्थानों पर निर्दलीय किंगमेकर बनेंगे।

छत्तीसगढिय़ा कलेक्टर की सोच….

छत्तीसगढ़ के मूल निवासी उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस, पीलीभीत जिले के कलेक्टर, जनसंपर्क संचालक तारण सिन्हा के साले तथा खेल संचालक श्रीमती श्वेता सिन्हा के भाई वैभव श्रीवास्तव के फसल अपशिष्ट से बायो कम्पोस्ट बनाने की खोजी पद्धति से तगड़ी कमाई तथा वायु प्रदूषण की रोकथाम का उपाय उत्तरप्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है, वैभव की खोजी इस अभिनय पद्धति को सभी जिला कलेक्टरों को अपनाने के निर्देश उत्तरप्रदेश के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) ने दिया है। वैसे पीलीभीत सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने वाला उप्र का पहला जिला बन गया है जिसमें किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल फसल अवशेष का भुगतान किया जा सके। वैसे वैभव की नई योजना के तहत किसानों को न सिर्फ मुफ्त जैविक खाद मिलेगी बल्कि वायु प्रदूषण से बचाव भी होगा वहीं सूखे गन्ने के पत्तों को कूटकर बायो कम्पोस्ट निर्माण किया जाएगा। ज्ञात रहे कि छग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पराली जलाने की जगह उससे खाद निर्माण पर जोर दिया था।

केवल एक ही डीजी…

छत्तीसगढ़ में 19 सालों के पुलिस के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि पुलिस महानिदेशक स्तर के एक ही अधिकारी की तैनाती है। डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी ही एकमात्र डीजी स्तर के अफसर के रूप में तैनात है।
इसके पहले कम से कम 2 या अधिक डीजी स्तर के अधिकारी होते थे। दरअसल छत्तीसगढ़ में डीजीपी स्तर के एक अफसर का काडर पद है और दूसरा पद नान कॉडर डीजी का स्वीकृत है यानि 2 डीजी तोहोने ही चाहिए। अभी तक सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर 1983 बैच के गिरधारी नायक को कभी भी डीजीपी नहीं बनाया गया पर वे वरिष्ठता के कारण डीजी बनते रहे वहीं उनसे जूनियर आईपीएस डीजीपी बनते रहे। वैसे छग में डीजी होमगार्ड का पद स्वीकृत है। गिरधारी नायक हालांकि हाल ही में रिटायर होकर मानव अधिकार आयोग के सदस्य हो गये हैं। उनके सेवानिवृत्त होते समय भी डीजीपी, दुर्गेश माधव अवस्थी के साथ ही गिरधारी नायक, विनय कुमार सिंह, संजय पिल्ले, आर.के. विज, मुकेश गुप्ता भी डीजी के रूप में प्रदेश में तैनात थे। इसी बीच मुकेश गुप्ता के निलंबन और केंद्र से डीजी के एक अतिरिक्त पद की स्वीकृति लिये बिना ही डीजी पदोन्नत होने के कारण संजय पिल्ले, आर.के. विज तथा मुकेश गुप्ता को पदावनत कर एडीजी बना दिया गया। इसी बीच गिरधारी नायक तथा विनय कुमार सिंह सेवानिवृत्त हो गये और अब प्रदेश में केवल एकमात्र डीजी दुर्गेश माधव अवस्थी ही पदस्थ हैं।

डीएम अवस्थी 86 बैच के आईपीएस हैं तो उनके बाद 89 बैच के संजय पिल्ले, आर.के. विज है। वरिष्ठता क्रम में संजय पिल्ले आर्डर ऑफ मेरिट के कारण प्रदेश में दूसरे नंबर के आईपीएस अफसर हैं। कायदे से तो मो.डब्ल्यु अंसारी की सेवानिवृत्तिके बाद ही संजय पिल्ले को डीजी पदोन्नत हो जाना था पर पिछली डॉ. रमन सिंह सरकार ने मुकेश गुप्ता को पदोन्नत करने इंतजार करते हुए संजय को डीजी पदोन्नत नहीं किया था। हाल ही में भूपेश सरकार ने मुकेश गुप्ता को निपटाने तीनों पदोन्नत डीजी को एडीजी बना दिया तब उम्मीद की जा रही थी कि जल्दी ही डीपीसी कर संजय पिल्ले-आर.के.विज को डीजी पदोन्नत कर दिया जाएगा पर पहले प्रदेश में बस्तर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर डीपीसी टाल दी गई और बाद में नगर सरकार के चुनाव की आचार संहिता की बात की जा रही थी इसके बाद अब तो पंचायत चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई है। वैसे छत्तीसगढ़ में नान कॉडर डीजी का एक पद डीजी होमगार्ड है और इस विभाग में हाल ही एडीजी अशोक जुनेजा की पदस्थापना की गई है वहीं एडीजी संजय पिल्ले को जेल एडीजी बनाया गया है। अभी तक होमगार्ड और जेल की जिम्मेदारी एक ही अफसर को मिलती रही है। अशोक जुनेजा 89 बैच के आईपीएस है और जनवरी 19 में उनकी नौकरी के 30 साल पूरे हो गये हैं और वे डीजी पदोन्नत होने के हकदार हो गये हैं। तो क्या राज्य सरकार एक साथ संजय पिल्ले, आर.के.विज तथा अशोक जुनेजा की एक साथ डीपीसी कर डीजी पदोन्नत करने की योजना है। फिलहाल प्रदेश में एक ही डीजी स्तर के अफसर पदस्थ हैं।

और अब बस…..

  • किस आईपीएस अफसर की विभागीय जांच नहीं करने के कारण वे केंद्र में इम्पेनल नहीं हो सके हैं।
  • पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किन दो अफसरों की कार्यप्रणाली से सरकार संतुष्ट नहीं है।
  • पंचायत चुनाव के बाद कुछ जिला कलेक्टरों का हटना तय माना जा रहा है।
  • पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कवर्धा पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के कुरुद में भाजपा की करारी हार चर्चा में है।
  • भाजपा के दिग्गज नेता संजय श्रीवास्तव, राजीव अग्रवाल, सुभाष तिवारी, अशोक पांडे, ओंकार बैस प्रफुल्ल विश्वकर्मा की वार्ड मेम्बर चुनाव में हार… एक टिप्पणी बड़बोलेपन का परिणाम।