शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन: सोमवार को करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, भगवान शिव रहेंगे प्रसन्न

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मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन कर तपस्या की थी।

शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कई हजार वर्षों तक ब्रह्मचारी रहकर घोर तपस्या की थी। उनकी इस कठिन तपस्या के कारण उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ गया। वे श्वेत वस्त्र पहनती हैं, उनके दाएं हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल विराजमान है।

कैसे पड़ा पार्वती जी का नाम ब्रह्मचारिणी

शिवपुराण और रामचरितमानस में लिखा है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन कर तपस्या की थी। इसके पश्चात तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। इतनी कठोर तपस्या के बाद इन्हें ब्रह्मचारिणी स्वरूप प्राप्त हुआ।

नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त अपने मन-मस्तिष्क को ब्रह्मचारिणी के श्री चरणों में एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और उनके मंत्रों का जप कर मनचाही इच्छा पूरी होने का वरदान पाते हैं।

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा

इनका रूप अत्यन्त मनोहर है और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करने वाली है। मां को चीनी का भोग लगता है और ब्राह्मण को भी दान में चीनी ही दी जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के तस्वीर या प्रतिमा के सामने पुष्प, दीपक, नैवेद्यं आदि अर्पण कर स्वच्छ कपड़े पहनकर आसन पर विराजमान होने के बाद इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।

दधानां करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डल। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से कुंडली में विराजमान बुरे ग्रहों की दशा सुधरती है और व्यक्ति के अच्छे दिन आते हैं। यही नहीं, इनकी पूजा से भगवान महादेव भी प्रसन्न होकर भक्त को मनचाहा वरदान देते हैं। गौरतलब है कि इस बार शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू हो गया है। इस बार नवरात्र 8 अक्टूबर ( दशहरा ) को समाप्त हो जाएगा।