भूपेश सरकार इन दो योजनाओं को करेगी रीलॉन्च.. सहायता राशि भी बढ़ाई.. इधर बीजेपी बोली- सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है ये फैसला..

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05 जून 2019, रायपुर। गरीब व श्रमिक परिवार की कन्या के विवाह की योजना को सरकार रिलांच करेगी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में श्रम विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग कन्या विवाह से जुड़ी दो अलग-अलग योजनाएं चलाते थे। योजना के दोहराव को देखते हुए कांग्रेस सरकार ने नई योजना तैयार की है। इस कारण पुरानी योजनाओं को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है। रिलांच होने वाली योजना में सरकार गरीब व श्रमिक परिवार की कन्या के विवाह पर 25 हजार स्र्पये देगी।

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने 2017 में कन्या विवाह सहायता योजना शुरू की थी। इसमें योजना का संचालन श्रम विभाग करता था। यह योजना मूल रूप से श्रमिक परिवारों को लाभ देने के लिए बनाई गई थी। इसमें पंजीकृत संस्थाओं में काम करने वाले श्रमिकों की एक पुत्री और महिला श्रमिक का विवाह होने पर सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल की तरफ से 15 हजार स्र्पये दिया जाता था।

वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के नाम से इसी तरह की एक दूसरी योजना चला रहा था। इसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार की 18 वर्ष से अधिक आयु की अधिकतम दो कन्याओं को योजना का लाभ मिलता था। उनका विवाह होने पर 13 हजार स्र्पये सामग्री खरीदी के लिए और दो हजार स्र्पये अन्य व्यय के लिए दिए जाते थे। कुल 15 हजार स्र्पये प्रति कन्या मिलता था।

कांग्रेस सरकार ने देखा कि गरीब और श्रमिक परिवार की कन्याओं के लिए दो विभाग अलग-अलग योजनाएं चला रहे हैं, तो उन्हें एक करके एक ही विभाग को जिम्मेदारी देने का फैसला लिया। जल्द ही प्रदेश सरकार गरीब व श्रमिक परिवार की कन्याओं के विवाह के लिए एक योजना की घोषणा करने जा रही है। इस योजना का संचालन महिला एवं बाल विकास विभाग करेगा।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया : भाजपा

छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के पूर्व अध्यक्ष मोहन एंटी का कहना है कि कन्या विवाह सहायता योजना के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर निर्माण कार्यों पर एक प्रतिशत उपकर लिया जाता था।

उपकर की राशि निर्माण श्रमिक कल्याण निधि से श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा पर खर्च किया जाता था। योजना के लिए राज्य सरकार के कोष से राशि नहीं ली जाती थी। एंटी का कहना है कि योजना को बंद करना गलत तो है ही, सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन भी है। इसकी शिकायत सुप्रीम कोर्ट की मॉनीटरिंग कमेटी से की जाएगी और आंदोलन भी किया जाएगा।

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