छत्तीसगढ़ की पहली बॉयोपिक “मंदराजी” के ट्रेलर लांच, छत्तीसगढ़ी संगीत के भीष्म पितामाह खुमान साव के छलक पड़े आंसू…

0
128

28 जून को पर्दे पर आएगी फिल्म मंदराजी

छत्तीसगढ़ की पहली बायोपिक मूवी

छत्तीसगढ़ी नाचा को दाऊ दुलार सिंह ने देश में दिलाई विशेष पहचान

रायपुर 07 जून, 2019। छत्तीसगढ़ की पहली संगठित नाचा पार्टी के जनक दुलार सिंह के जीवनी पर बनी प्रदेश की पहली बायोपिक फिल्म” मंदराजी “का आज ट्रेलर लांच हो गया। विवेक सारवा द्वारा निर्देशित “मंदराजी” फिल्म दुलार सिंह के संघर्ष और छत्तीसगढ़ी नाचा को देश और विदेश में प्रसिद्ध करने की कहानी है। सारवा प्रोडक्शन्स के बैनर तले और मां नर्मदा फिल्म्स के एसोसिएशन में बनी इस फिल्म का निर्माण किशोर सारवा और नंदकिशोर साहू ने किया है। फिल्म में छालीवुड के सुपरस्टार करण खान दाऊ दुलार सिंह का रोल कर रहे हैं। साथ ही अन्य प्रमुख कलाकारों में ज्योति पटेल, भैय्यालाल हेड़ाऊ, हेमलाल कौशल, नरेश यादव, उर्वशी साहू, लता ऋषि चंद्राकार, अमर सिंह लहरे, राजू शर्मा चंदैनी गोंदा के कलाकार शामिल हैं।

28 जून को पर्दे पर आएगी फिल्म मंदराजी

फिल्म की स्टोरी – खूमानलाल साव, संवाद-नवीन देशमुख, संगीत – गोविंद साव, गीतकार – लक्ष्मण मस्तुरिया, आत्माराम कोसा, स्वर – कविता वासनिक, महादेव हिरवानी, प्रभु सिन्हा, कुलेश्वर ताम्रकार, मेकअप और कोरियोग्राफी – विलास राउत की है। दर्शक, “मंदराजी” फिल्म के माध्यम से छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी के जनक दुलार सिंह के जीवन और नाचा के क्षेत्र में किये गये उनके अमूल्य योगदान को देख पाएंगे।

छत्तीसगढ़ की पहली बायोपिक मूवी

“मंदराजी” छत्तीसगढ़ की पहली बायोपिक मूवी है। राजनांदगांव जिले के ग्राम रवेली से दाऊ दुलार सिंह मंदराजी ने अपने सफ़र की शुरुआत करते हुए छत्तीसगढ़ नाचा को देश और दुनिया में ख्याति दिलाई। इस फिल्म में दर्शकों को दुलार सिंह द्वारा संघर्ष कर छत्तीसगढ़ी नाचा को विश्व पटल पर स्थापित करने के साथ ही प्रदेश की समृद्ध कला संस्कृति से भी रूबरू होने का अवसर मिलेगा।

छत्तीसगढ़ी नाचा को दाऊ दुलार सिंह ने देश में दिलाई विशेष पहचान

छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी के जनक दाऊ दुलार सिंह मंदराजी ने नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को देश और दुनिया में विशिष्ठ पहचान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दाऊ दुलार सिंह मंदराजी का जन्म राजनांदगांव जिले अंतर्गत रवेली ग्राम के सम्पन्न जमींदार परिवार में हुआ था। बचपन से ही दुलार सिंह को गीत-नृत्य के प्रति खास लगाव था।

दुलार सिंह ने इस नाचा को विकृति से बचाते हुए परिष्कृत करने का बीड़ा उठाकर रवेली गांव के मंचीय प्रदर्शन से प्रयास आरंभ किया। सक्षम कलाकारों से सुसज्जित उनकी टोली धीरे-धीरे लोकप्रियता पाने लगी। छत्तीसगढ़ी नाचा की लोकयात्रा रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ से टाटानगर तक कई छोटी-बड़ी जगहों में अपना परचम फैलाते बढ़ने लगी। रायपुर के रजबंधा मैदान में रवेली दल की नाचा प्रस्तुति को आज भी याद किया जाता है।

नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवंत रखने और उसके समुचित संरक्षण के लिए दाऊ दुलार सिंह मंदराजी अपना तन-मन-धन समर्पित कर दिया। जीवन का आखिरी पहर गुमनामी और गरीबी में गुजारा लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत लाभ-प्रशंसा की चाहत को दरकिनार कर केवल नाचा की समृद्धि को जीवन की सार्थकता माना।

प्रदर्शनकारी लोक विधा नाचा को जीवंत रखने, जन सामान्य में उसकी पुनर्प्रतिष्ठा और लोक कलाकारों को प्रश्रय देने वाले दुलार सिंह का व्यक्तित्व नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा दायक है। छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में लोक कला/शिल्प के लिए दाऊ मंदराजी सम्मान स्थापित किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here