डिस्टेम्पर बीमारी पपी और एडल्ट डॉग में फिर मिली.. साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा की अपील, अभी से संभल जाएं तो नहीं खोना पड़ेगा आपको कोई बेबू… डॉ. संजय जैन बता रहे है अपने डॉगी का कैसे करें बचाव..

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रायपुर 21 अप्रैल, 2020। राजधानी रायपुर की साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने बीते वर्ष न सिर्फ एक पपी पर उसका लक्षण देखा बल्कि उस पपी ने डिस्टेम्पर की वजह से दम तोड़ दिया था अबकी बार लोग अपने डॉगी के स्वास्थ्य का खास खयाल रखें इस उद्देश्य से  पशुचिकित्स डॉ. संजय जैन से भी बातचीत कर इस बिमारी  के लक्षण, बचाव और कैसे ध्यान रखा जाए इस बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से जागरूकता की कोशिश की है ।इस आर्टिकल में मोनाली गुहा ने अपने एक्सपीरियंस भी शेयर किये है। उन्होंने अपने स्ट्रीट में एक पपी को तड़प-तड़प कर मरते हुए देखा है। इसलिए वह चाहती है ऐसा भयावह दृश्य और किसी को देखने न मिले इसके लिए प्रयास कर रही है।

मोनाली ने शेयर किया एक्सपीरियंस.. स्ट्रीट डॉग बेबू को खोया था इसी बीमारी से

साइबर एक्सपर्ट मोनाली गुहा ने जैसे ही न्यूज़ में उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ के गांवों में इस बीमारी के कुछ पपी एवम एडल्ट डॉग में पुनः लौटने और उनकी मौत की खबर पढ़ी उन्होंने लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आर्टिकल शेयर किया। उन्होंने बताया कि बीते फरवरी 2019 को उन्होंने एक पपी को अचानक घर के बाहर सुस्त देखा, जो कुछ ही घंटों में बेहद कमजोर होता गया, उसकी ऐसी हालत देख कर वो उसे पशुचिकित्सालय लेकर गई जहाँ उसका तत्काल ईलाज शुरु किया गया। उपचार के दौरान डॉक्टर ने उस पपी (बेबू) को डिस्टेम्पर होने की पुष्टि की। उन्होंने मोनाली को बताया कि ये गंभीर बीमारी है इसे बचा पाना मुश्किल होगा फिर भी मोनाली और डॉक्टर्स ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार उसके इलाज के लिए भागदौड़ करती रहीं। उसे रोज़ इंजेक्शन, बॉटल चढ़वाना, दवाई देना, उसका खाना पीना जैसी सारी ज़िम्मेदारियां निभाती रहीं और देखते ही देखते 5 दिनों बाद बेबू ने दम तोड़ दिया। इस घटना ने मोनाली के मन को झकझोर दिया और फिर उन्होंने ठानी कि जब भी ये बीमारी दस्तक देगी वो हर सम्भव कोशिश कर लोगों को जागरूक करेंगी ताकि लोग पहले ही सतर्क हो जाएं और किसी को दोबारा अपना बेबू न खोना पड़े।

विशेष अपील डॉक्टर संजय जैन ने लोगों से ये अपील की है कि किसी भी तरह की भ्रामक जानकारी में न फंसें , कोरोना पशुओं से नहीं फैल रहा । कोरोना जिन्हें हो रहा है वो उनकी अपनी लापरवाही की वजह से हो रहा है , इसीलिए सेनिटाइजर के इस्तेमाल एवम सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी जा रही है , जानवरों से कोरोना इंसान में फैलेगा ये अफवाह सरासर गलत है । आपकी अज्ञानतावश की गई गलतियों के कारण कोरोना हो सकता है यदि आप बचाव के निर्देशों का सही तरह पालन नहीं करते , कृपया डॉगी या दूसरे जानवरों के साथ गलत व्यवहार न करें , ये ज़रूरी है कि आप स्वयं भी स्वच्छता एवम सावधानी बरतें साथ ही किसी भी जानवर अथवा लोगों के साथ इस तरह की अफवाह सुन कर अनुचित व्यवहार न करें ।

पपी एवम एडल्ट डॉग में बीमारी का नाम कैनाइन डिस्टेम्पर है ये बीमारी कई सौ सालों पुरानी है ये जिसके होने के लगभग 5 से 7 दिनों के अंदर कमज़ोर पपी की मौत हो सकती है, कुछ केसों में पपी या एडल्ट डॉग ठीक भी हो जाते हैं लेकिन यह पूरी तरह से उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है।

रायपुर से पशुचिकित्सक डॉक्टर संजय जैन से बातचीत

डॉक्टर संजय जैन ने बताया कि डिस्टेम्पर में पपी या एडल्ट डॉग को मिर्गी जैसे लक्षण दिखते हैं, ये पैरों से शुरू होते हैं बॉडी में झटके आना , फिर बॉडी और फिर हैड पर और धीरे धीरे पूरी बॉडी पर इसका असर दिखता है । ये बीमारी लगातार पूरी बॉडी पर अपना असर करती है जिससे पपी या एडल्ट डॉग के शरीर मे थकान देखी जा सकती है । इस फॉर्म को नर्वाइन फॉर्म कहते हैं जिसमे डॉगी के शरीर मे झटके आने लगते हैं ,इसमे उसकी मृत्यु की संभावना सबसे अधिक होती है  इसके अलावा डिस्टेम्पर का एक और फॉर्म होता है जिसे क्यूटेनियस फॉर्म कहते हैं इसमे एब्डॉमिन में छोटे छोटे पीले गोल फोड़े जैसे बन जाते हैं मगर ये क्योरेबल होता है । इसी का एक फॉर्म गैस्ट्रो होता है । ये पपी में सबसे ज्यादा एवं एडल्ट डॉग में कम मगर दोनो में होता है ,कुछ एडल्ट डॉग इससे ग्रसित होने के बाद भी अच्छा इम्यून सिस्टम होने के कारण ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ में  डिफ़ॉर्मेटी रह जाती है जैसे पीछे अथवा सामने के दोनों पैर लकवाग्रस्त ,कुछ डॉग ऐसे होते हैं जो साधारण ज़िन्दगी जीते हैं दौड़ते भागते खेलते हैं मगर जब भी वो खड़े रहते हैं तब वो अपने पैरों से साइकल में हवा भरने जैसी गतिविधि करते हैं जिसे मेडिकल टर्मिनोलॉजी में सेंटपीटर डांस कहा जाता है ।

ये फैलता कैसे है –

सबसे ज्यादा कॉन्टैक्ट से ,या डिस्टेम्पर ग्रस्त डॉग्स के जूठे बर्तनों के उपयोग से ।

बचाने का सिर्फ एकमात्र तरीका –

तीन महीने की उम्र के पहले वेक्सिनेशन कम्प्लीट हो जाना चाहिए , अगर डिस्टेम्पर हो जाता है तो उसके बाद ट्रीटमेंट तो है मगर अब भी पूरी तरह से कारगर नहीं है  ।

क्या संक्रमण के समय घरेलू डॉग्स को बाहर घूमने से हो सकता है डिस्टेम्पर ?

बिल्कुल हो सकता है क्योंकि वह संक्रमण के सम्पर्क में आ सकता है । आम तौर पर यह देख समझ पाना कठिन होता है कि इसका संक्रमण किस स्थान पर है ,सड़क पर पड़ा मलमूत्र ,लार इन्फेक्टेट है या नहीं , या इससे ग्रसित डॉग किस स्थान से रगड़ कर निकला है और जैसे ही हमारे डॉग वहां से गुज़रेंगे उन्हें भी यह इंफेक्शन हो सकता है।

क्या सरकार ने अब तक कोई कदम उठाया है, क्या संभावनाएं हैं?

इसका संक्रमण बहुत ज्यादा नहीं है ,अब तक सरकार ने इसके लिए कोई मुहीम नहीं उठाई हैं । अगर सरकार इससे पपी या डॉग्स को बचाना चाहे भी तो उनपर बहुत ज्यादा आर्थिक भार आ सकता है क्योंकि सारे स्ट्रीट डॉग्स को भी इसका वेक्सिनेशन और  बूस्टर डोज़ पूरा करवाना होगा , फिर ये हर साल लगाना होगा जब तक वह ज़िंदा है और यह इतना आसान और वास्तविक रूप से संभव नही है इस लिए लोगों को कम से कम उन डॉग्स की सहायता करनी चाहिए जिन्हें वे पाल सकते हैं , चाहे वो देसी ब्रीड हो या विदेशी , अगर वे मदद करना चाहते हैं तो भले ही एक पपी या डॉग की ज़िम्मेदारी लें लेकिन उसे अच्छी तरह निभाएं ।स्ट्रीट डॉग में डिस्टेम्पर कम मिलता है ,क्योंकि हमेशा से बाहर रहने के कारण इनकी इम्युनिटी अच्छी होती है लेकिन जो ब्रीड अथवा प्योर ब्रीड वाले डॉग होते हैं उनमें इसके चांसेस ज्यादा होते हैं ।

क्या ये डिस्टेम्पर इंसानों में फैल सकती है ?

नहीं ये इंसानों को नहीं फैलती, ये सिर्फ एडल्ट डॉग या पपी में ही फैलती है ।

डॉक्टर संजय जैन की लोगों से अपील

निश्चित रूप से जो भी लोग इस तरह से एडल्ट डॉग अथवा पपी को पाल रहे हैं ,जिस तरह से हम ह्यूमन के बच्चों को पहले दिन से ही चिकित्सक की निगरानी में पलते पोस्ते हैं ,समय समय पर दवाइयां एवम वेक्सिनेशन करवाते हैं ठीक इसी तरह से इनका भी खयाल रखना चाहिए ,पशुचिकित्सक की सलाह एवम परामर्श लेते रहना चाहिए।

कई बार लोगों के मन मे आता है कि हमने तो डॉगी को घर पर रखा है ,उसे तो कुछ नहीं होगा ,ऐसा नहीं है उनको भी डिस्टेम्पर और रेबीज़ जैसी बीमारियों के वैक्सीन डॉक्टर की सलाह पर हर साल निश्चित रूप से लगवाना चाहिए चाहे वह देसी हो या विदेशी हो ,ताकि कम से कम वो पपी सुरक्षित हो जाएंगे जिन्हें हम पालते हैं ।बाकी स्ट्रीट डॉग बेचारे हमेशा से संघर्ष कर रहे हैं यदि उनके लिए भी कोई समाजसेवी संस्था या कोई जिम्मेदार नागरिक अपनी सेवा देना चाहते हों तो ज़रूर आगे बढ़े । इसलिए जिन डॉगी की हम मदद कर पाएं उनकी मदद ज़रूर करनी चाहिए , भले ही आप एक डॉग पालें पर अच्छे से पालें ,वेक्सिनेशन समय समय पर करवाते रहें । किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

जानें क्या है कैनाइन डिस्टेम्पर बीमारी

ये आम तौर पर कुत्तों और उनके पपी को होने वाली बीमारी है ,जो सामान्यतः पपी  में देखी जाती है मगर कई बार एडल्ट डॉग्स में भी पाई गई है। यह एक डॉग से दूसरे डॉग में फैलती है। अगर आपके घर का कोई कुत्ता किसी डिस्टेम्पर पॉज़िटिव डॉग के सम्पर्क में आता है या उसके मल मूत्र अथवा लार तो सूंघता अथवा चाटता है तो यह बीमारी उसे भी हो सकती है।

डिस्टेम्पर के लक्षण

अचानक से पशु को तेज बुखार, सुस्ती, कमज़ोरी, शरीर का शिथिल हो जाना, एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे बैठे सोना, खाना पीना बंद कर देना, भूख न लगना, धीरे धीरे आंखों में कीचड़ का अधिक बढ़ जाना, मुंह से अत्यधिक लार गिरना, झटके जैसे लक्षण, शरीर का अकड़ना और लखवा होने जैसे शरीर के अंगों का काम करना बंद कर देना।

बचाव कैसे करें, क्या है इलाज

पपी या एडल्ट डॉग को इस बीमारी के समय दूसरे इन्फेक्टेड डॉग के सम्पर्क में आने से रोकना, पहले से इसका वेक्सिनेशन करवाना, यदि ऐसे लक्षण दिखें तो तुरंत पशुचिकित्सक से परामर्श लेना सही कदम होगा ।