स्वास्थ्य विभाग की अनोखी पहल: नेत्रदान पखवाड़े में 31 हजार से ज्यादा लोगों ने लिया संकल्प, मिशन संचालक NHM, दो जिले के कलेक्टर समेत कई बड़े अधिकारियों ने किया EYE डोनेट..

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9 सितम्बर, 2019 रायपुर। 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक पूरे प्रदेश में नेत्रदान सप्ताह मनाया गया। इस दौरान प्रदेशभर में 31 हजार से ज्यादा लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया। सबसे खास बात थी की इस अभियान में मिशन संचालक NHM से लेकर कई जिले के कलेक्टरों के साथ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नेत्रदान किया। इस अभियान का उद्देश्य नेत्रदान के महत्त्व के बारे में व्यापक रूप से जनजागरूकता पैदा करना तथा लोगों को मृत्यु के बाद अपनी आंखे दान करने की शपथ लेने के लिए प्रेरित करना था।

नेत्रदान पखवाड़े का मूल उद्देश्य नेत्रदान को बढ़ावा देने व कॉर्नियल दृष्टिहिनता का उपचार करना एवं दृष्टिहीनता को घटाकर वर्ष 2020 तक 0.3 प्रतिशत पर लाना है। इस अभियान के अंतर्गत राज्य में नेत्रदान संबंधी जानकारियों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

विद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता एवं रैलियों के साथ ही राज्य के विभिन्न स्कूलों में छात्र-छात्राओं का नेत्र परीक्षण किया गया एवं जांच व दृष्टि दोष पीड़ित छात्रों को मुफ्त में चश्मा भी दिया गया।

इन अधिकारियों ने किया नेत्रदान

आम जनता में जनजागरूपता लाने व लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करने इस वर्ष धमतरी कलेक्टर, रजत बंसल, कलेक्टर बलोदा बाजार कार्तिकेय गोयल, सीईओ धमतरी विजय दयाराम, अपर कलेक्टर धमतरी दिलीप अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर धमतरी एचएल गायकवाड, सिविल सर्जन रायपुर डॉ.रवि तिवारी, पूर्व कुलपति आयुष विश्वविद्यालय डॉ.एके चंद्राकर संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एसएल आदिले, पूर्व अधिष्ठाता डॉ.पीके मुखर्जी, डॉ. टीएन मेहरोत्रा, संचालक महामारी डॉ. आरआर साहनी, राज्य कार्यक्रम अधिकारी नेत्र विभाग डॉ. सुभाष मिश्रा, विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग डॉ. एमएल गर्ग, उप संचालक डॉ.राजेश शर्मा, पूर्व उप संचालक डॉ. बीके दास एवं 42 अन्य अधिकारीयों एवं कर्मचारियों ने नेत्रदान करने के संकल्प पत्र को भर कर नेत्रदान पखवाडे को सफल बनाया। नेत्रदान पखवाडे़ में अब तक 31207 लोगों ने नेत्रदान करने का संकल्प लिया। वहीं 10 नेत्रदान प्राप्त हुए। जो कि अब तक के सबसे ज़्यादा हैं ।

इस अवसर पर राज्य कार्यक्रम अधिकारी अंधत्व नियंत्रण डॉ सुभाष मिश्रा ने बताया कि विकासशील देशों में प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक दृष्टिहीनता है, विश्व स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार कॉर्निया की बीमारियाँ (काॅर्निया की क्षति, जो कि आंखो की अगली परत है) मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद होने वाली दृष्टि हानि और अंधापन के प्रमुख कारणों में से एक है। ज्यादातर मामलों में दृष्टि के हानि को नेत्रदान के माध्यम से उपचारित किया जा सकता है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके विभिन्न अंगो को दान किया जा सकता है। तथा उन अंगो को उन रोगियों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है जिन्हें उन अंगो की आवष्यकता है ऐसी ही एक अंग आंख है। मृत्यु के बाद नेत्रदान से कॉर्निया रहित अंधा व्यक्ति शल्य प्रक्रिया के माध्यम काॅर्निया प्रत्यारोपण द्वारा फिर से देख सकता है।