इतिहास में पहली बार भिलाई स्टील प्लांट को मिला थाइलैंड के रुप में नया बाजार… 20 हजार टन स्टील का ऑर्डर…

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भिलाई। भारत और चीन के तनातनी के बीच एक अच्छी खबर है। भिलाई स्टील प्लांट को इतिहास में पहली बार थाइलैंड के साथ व्यापार करने का मौका मिला है। भारत समेत अन्य देशों से भी चीन की कारोबारी रिश्तों में खटास आ रही है। पड़ोसी देशों को चीन सेमी-फिनिश्ड प्रोडक्ट की आपूर्ति पहले की तरह नहीं कर पा रहा है। इसका फायदा भारत को मिला है। सेल की सबसे बड़ी इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र को 65 वर्षों के इतिहास में पहली बार थाइलैंड के रूप में नया बाजार मिला है। थाइलैंड ने भिलाई इस्पात संयंत्र से रिश्ता जोड़ते हुए 20 हजार टन स्टील का ऑर्डर दिया है।

  • आपको बता दें थाइलैंड से BSP का अभी तक कोई कारोबारी रिश्ता नहीं था। यह पहली बार हो रहा है कि वहां की सेकंडरी स्टील फैक्ट्री में बीएसपी का बिलेट्स गलाकर सरिया बनाया जाएगा।
  • थाइलैंड को उच्च गुणवत्ता वाले बिलेट्स की जरूरत है। भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसंपर्क महाप्रबंधक सुबीर दरिपा के अनुसार 20 हजार टन का ऑर्डर पहले चरण में मिला है। भविष्य में और ऑर्डर की उम्मीद है।
  • गौरतलब है कि अब तक थाइलैंड में यह माल चीन से जा रहा था। बीते दिनों चीन ने खुद भिलाई स्टील प्लांट (बीएसपी) को 60 हजार टन बिलेट (ठोस लोहे की बीम) की आपूर्ति का ऑर्डर दिया था।
  • यही नहीं अप्रैल से मई के बीच बीएसपी ने लॉकडाउन के दौरान बनाए गए 50 हजार टन बिलेट की सप्लाई चीन को की थी।
  • बीएसपी के अधिकारियों की मानें तो कोरोना संकट के चलते चीन की बड़ी इस्पात फैक्‍ट्र‍ियां चालू नहीं हो पाई थीं। इस वजह से सेकेंडरी इस्पात उत्पादक कारखानों की जरूरतों को भिलाई इस्पात संयंत्र पूरा किया था।
  • वैसे भी मौजूदा वक्‍त में चीन की विस्‍तारवादी नीतियों से आजिज आ चुके दुनिया के तमाम मुल्‍क भारत का रुख कर रहे हैं।
  • थाइलैंड से यह कारोबारी रिश्‍ता ऐसे वक्‍त में बना है जब पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीन से तनाव चल रहा है। भारत भी आर्थ‍िक मोर्चे पर भी चीन को चोट देने की कोशिशों में जुटा हुआ है।
  • हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ हुए तीन बड़ी परियोजनाओं पर हुए करार को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया था। ये करार पांच हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की परियोजनाओं से संबंधित थे।