क्या आपको पता है छत्तीसगढ़ में है गांधी मंदिर.. खंडहर पड़े इस मंदिर में आज भी होती है बापू की पूजा..

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय की कलम से

छग में गांधी मंदिर

छत्तीसगढ़ में महात्मा गांधी का आगमन आजादी के पहले 2 बार हुआ था, पहली बार कंडेल सत्यागृह के लिए और दूसरी बार हरिजन उद्धार के सिलसिले में…। धमतरी जिले के सटियारा ग्राम में तब किसी ने गांधी का मंदिर बनाया था। कहा तो यह भी जाता है कि पहले गंगरेल बांध सटियारा ग्राम में ही बनना था, वहां कुछ निर्माण स्ट्रक्चर अभी भी मौजूद है पर आर्थिक खर्च अधिक बढऩे के नाम पर गंगरेल में बांध बनाया गया। धमतरी जिले के गंगरेल बांध के डूबान क्षेत्र के ग्राम सटियारा में काफी पहले महात्मा गांधी को देवता स्वरूप मानकर उनकी मूर्ति स्थापित कर मंदिर का निर्माण किया गया था। महानदी का पानी टकराने से मंदिर प्रभावित न हो इसके लिए मंदिर के पास बड़े बड़े पत्थरों की आड़ भी ग्रामीणों ने लगाई है। आज भी मंदिर के बाहर जय भारतमाता, जय जनता गांधी, जय महात्मा गांधी लिखा है। वहीं स्थापना वर्ष 1989-90 भी अंकित है। वहां के बुजुर्गों की मानें तो मंदिर काफी पुराना है 89-90 में जीर्णोद्धार किया गया है।

सूत्रों की माने तो इस मंदिर में पहुंचने का मार्ग कष्टप्रद है। चरामा मार्ग से 40 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में पहुंचा जा सकता है। वैसे माडम सिल्ली होकर भी इस मंदिर में जाया जाता है पर लगभग 6 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। मंदिर में पूजा पाठ होता है, अगरबत्ती, दीपक जलाकर बापू को नमन किया जाता है वैसे बापू की 150 वीं जयंती पर राज्य सरकार मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर पहुंच मार्ग ठीक कराकर इस ऐतिहासिक मंदिर को संरक्षित कर गांधी विचारधारा को विस्तारित करने का प्रयास तो कर ही सकती है।

गांधी, गोडसे.. और शराब…

महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती शुरुवात पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने 2-3 अक्टूबर को छग विधानसभा का विशेष सत्र गांधी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करने आयोजित किया था वह गांधी की जगह उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे, वीर सावरकर, शराबबंदी में ही उलझकर समाप्त हो गया, बर्हिगमन, धरना, नारेबाजी की भेंट चढ़ गया…। 20 दिसंबर 1920 को महात्मा गांधी पहली बार अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चलाये जा रहे कंडेल सत्यागृह के सिलसिले में छत्तीसगढ़ आये थे यह बात और है कि उनके आने के पहले आंदोलनकारियों की मांग मान ली गई थी वहीं दूसरी बार गांधीजी का 22 नवंबर 1933 को पुन: छत्तीसगढ़ आगमन हुआ था। उस समय छग के कई स्थानों पर बापू ने सभा भी ली थी। 20 नवंबर 2020 को बापू के छत्तीसगढ़ प्रवास के 100 साल पूरे हो जाएंगे।
खैर छत्तीसगढ़ की विधानसभा के गांधी पर आयोजित विशेष सत्र में गोडसे मूर्दाबाद के नारे लगाने, वीर सावरकर को उनका गुरू ठहराना, शराब बंदी का वादा पूरा करने पर ही केंद्रित होकर समाप्त हो गया। वैसे महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को महिमा मंडित करने उसके बचाव का प्रयास, उसका मंदिर बनाने आदि की चर्चा 2-3 सालों से तेजी पर है। वैसे काफी कम लोगों को पता है कि नाथूराम गोडसे का नाम भारतीय संसद में असंसदीय शब्दों की सूची में शामिल है। इसी के साथ रावण, हिटलर, मुसोलिनी और ईदी अमीन भी असंसदीय शब्द मानकर संसद में अनार्किस्ट (अराजकवादी) माना जाता है। दरअसल ये लोग नाम से ज्यादा अपनी विचारधारा के लिए जाने जाते हैं।
दरअसल संसद में उपयोग करने लायक शब्दों की शब्दावली पहले से ही तैयार है। महात्मा गांधी की हत्या के प्रमुख आरोपी नाथूराम गोडसे पर संसद के शीतकालीन सत्र (पिछली लोकसभा के कार्यकाल) में सत्तापक्ष के एक सांसद ने गोडसे को देशभक्त बताया था और बाद में माफी भी मांग ली थी बाद में संसदकी कार्यवाही से गोडसे शब्द को विलोपित भी कर दिया गया था क्योंकि यह शब्द असंसदीय माना गया था। तत्कालीन संसद के सत्र के आखरी दिन उपसभापति पी.जे.कुरियन ने स्पष्ट किया था कि नाथूराम गोडसे शब्द को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया है क्योंकि यह असंसदीय शब्द है। ज्ञात रहे कि लोकसभा सचिवालय में हिन्दी-अंग्रेजी की असंसदीय शब्दों की सूची कई सौ पृष्ठों में दर्ज है। पुस्तक का नाम है ‘असंसदीय अभिव्यक्तियां’। इसका आखरी संस्करण 2009 में प्रकाशित किया गया है जिसकी कीमत 1700 रुपये है हालांकि सांसदों को 25 प्रतिशत की छूट दी जाती है।

और अब बस…

  • कंडेल से प्रारंभ गांधी विचार पद यात्रा की शुरूवात करने गये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यक्रम में भारी भीड़ देखकर तो यही लगता है गांधी अभी भी प्रासंगिक हैं।
  • विधानसभा के विशेष सत्र में गांधी पर विचार प्रकट करने नहीं देने पर विधायक अमितेष शुक्ल नाराज हो गये हैं..।
  • छत्तीसगढ़ में शराब बंदी को लेकर अजय चंद्राकर के आक्रामक तेवर पर एक टिप्पणी… सुधर गये हैं क्या भैया…।
  • चित्रकुट विधानसभा उपचुनाव के बाद क्या भाजपा में बड़ा फेरबदल हो सकता है?