विशेष टिप्पणी: जब मुख्यमंत्री की पत्नी ने PM मोदी को कहा ‘फादर ऑफ आवर कंट्री’.. इधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं शायद वह भारत के पिता है?.. फिर भी चुप रहे पीएम मोदी..

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वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय

तेरी गली में अब तो खबर हो गये हैं हम
मुद्दत हुई की शहर बदर हो गये हैं हम
दिल में है अब भी शीश महल की सजावटें
बाहर से देखिये तो खंडहर हो गये हैं हम

यह सवाल बड़ा मौजू है कि एक व्यक्ति जो हाड़-मांस का बना था, अपने जन्म के 150 साल बाद भी कभी भी असामयिक नही हुआ। जो लोग उसे मानते हैं और जो लोग उसके खिलाफ (?) खड़े हैं उन लोगों के लिये भी गांधी का होना जरूरी है। सहमति-असहमति विचारों की बुनियाद है। महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है देश, भारत के राष्ट्रपिता की 150 वीं जयंती मना रहा है इस मौके पर नया भारत, नया राष्ट्रपिता (!) को लेकर एक माहौल बनाया जा रहा है यह राष्ट्रपिता सहित उन्हें 6 जुलाई 1944 को राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस का गाहे-बगाहे हम अपमान तो नहीं कर रहे हैं…।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनकी सालगिरह पर बधाई संदेश देते हुए अपने ट्विटर पर ‘फादर ऑफ अवर कंट्री’ अर्थात हमारे देश के पिता के रूप में संबोधित किया उसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई, उसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ह्यूस्टन में आयोजित हाउडी मोदी रैली में नरेन्द्र मोदी को स्तुति सुमन बरसाते हुए कहा कि मैं भारत को जानता हूं, जब वह बंटा हुआ था, उस वक्त काफी विघटन था, वहां संघर्ष था तब मोदी ने सभी को साथ जोड़ा, एक पिता की तरह उन्होंने इस काम को किया… शायद वह भारत के पिता हैं? वैसे डोनाल्ड ट्रंप ने आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मॉरिसन को भी कुछ दिनों पहले मैन ऑफ टाइटेनियम यानि एक वास्तविक ताकत वाला आदमी कहा था। बहरहाल अमेरिका के राष्ट्रपति की मोदी को भारत का पिता कहने की बात को न तो अमेरिका की जनता ने गंभीरता से लिया और न ही हाउडी मोदी के कार्यक्रम में शामिल मेहमानों और भारत के लोगों ने ही महत्व दिया पर कुछ मोदी अंधभक्त जरूर गदगद हैं। वैसे यह राष्ट्रपिता और नेताजी सुभाषचंद्र बोस का एक तरह से अपमान ही माना जा सकता है। 6 जुलाई 1944 को सिंगापुर रेडियो पर अपने संबोधन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने महात्मा गांधी को पहली बार राष्ट्रपिता के तौर पर संबोधित किया था। उस समय महात्मा गांधी और उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा भारत छोड़ो आंदोलन के सिलसिले में आगा खान पैलेस पुणे में बंद थे।

सवाल फिर उठ रहा है कि अपने निजी राजनीतिक फायदे (अगला चुनाव) को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो (200 सालों के इतिहास में चौथे राष्ट्रपति बन गये हैं जिन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ रहा है) नरेन्द्र मोदी को भारत का नया राष्ट्रपिता कहा है उस समय ‘फादर ऑफ इंडिया’ के संबोधन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी भी कम आश्चर्यजनक नहीं है वे कह सकते थे कि बापू से उनकी तुलना उचित नहीं है…। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं और वे ही रहेंगे पर लगता है कि उन्हें भी विश्वास हो चला है कि लोगों ने सच ही उन्हें अपना पिता मान लिया है। पता नहीं लोग कैसे कैसे भ्रम पालने लगते हैं…. महात्मा गांधी को ऐसे ही लोगों ने राष्ट्रपिता नहीं मान लिया था। नोआखाली में जब नरसंहार चल रहा था तो वे बिना सुरक्षा के घूम रहे थे और कलकत्ता में दंगा रोकने अपनी जान को दांव पर लगा दिया था।

खैर राष्ट्रपिता के ओहदे से महात्मा गांधी की बेदखली और उनके स्थान पर नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी की शुरुवात 2017 में खादी ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर और खेल डायरी से महात्मा गांधी को हटा दिया गया था। हरियाणा के कबीना मंत्री अनिल विज ने तो अंबाला की एकसभा में कहा था कि खादी उत्पादों के साथ गांधी का नाम जुडऩे से उसकी बिक्री में गिरावट आई है वहीं हाल रूपयों का भी हुआ, जिस दिन गांधी रूपये की तस्वीर में अवतरित हुए तभी से उसका अवमूल्यन शुरू हो गया है, धीरे-धीरे नोट से भी उनको हटा दिया जाएगा। मोदी, गांधी से बड़ा ब्रांड बन चुके हैं। बहरहाल कुछ वर्षों 5-6 साल के बीच जिस तरह महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, सरदार पटेल, भीम राव अम्बेडकर आदि को लेकर टीका टिप्पणी की जा रही है वह दुखद ही है।