सरकार ने जारी की अधिसूचना: 10 फरवरी को अस्तित्व में आएगा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला..

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में गौरेला-पेंड्रा- मरवाही के रूप में नया जिला 10 फरवरी 2020 से अस्तित्व में आएगा। बिलासपुर जिले का विभाजन कर बन रहे इस जिले के गठन के साथ ही राज्य में जिलों की संख्या 27 से बढ़कर 28 हो जाएगी। सोमवार को सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। साथ ही नए जिले की सीमा की फाइनल कर दी है।

नए जिले में बिलासपुर जिले की तीन तहसीलों- गौरेला, पेंड्रा और मरवाही को शामिल किया गया है। राजस्व विभाग ने 20 सितंबर को पहली अधिसूचना जारी की थी। साथ ही राजपत्र में प्रकाशन के दिन से सात दिनों के भीतर दावा आपत्ति आमंत्रित किया था। दावा आपत्ति के दौरान पसान और आसपास के 15 से 20 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने नए जिले में शामिल करने की मांग की थी। पेश आवेदन में पंचायत प्रतिनिधियों ने पसान व आसपास के ग्राम पंचायतों की नए जिले से दूरी 30 से 32 किलोमीटर बताते हुए नए जिले में शामिल होने से राहत की उम्मीद भी जताई थी।

नए जिले की सीमाएं

  • उत्तर में- कोरिया जिले की मनेंद्रगढ़ तहसील तक।
  • दक्षिण में- बिलासपुर जिले की कोटा तहसील और मुंगेली जिले की लोरमी तहसील तक।
  • पूर्व में- कोरबा जिले की कटघोरा तहसील तक।
  • पश्चिम में- मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के सोहागपुर व पुष्पराजगढ़ तहसील तक।

आठ साल बाद बना नया जिला

प्रदेश में इससे पहले वर्ष 2011 में एक साथ नौ जिलों का गठन किया गया था। अब आठ वर्ष बाद फिर एक नए जिले का गठन किया जा रहा है। राज्य स्थापना के बाद से अब तक कुल 11 नए जिले बनाए जा चुके हैं।

एकमात्र विधानसभा क्षेत्र वाला बनेगा जिला

गौरेला, पेंड्रा, मरवाही जब जिले के रूप में राज्य शासन के नक्शे पर अंकित हो जाएगा तब इस जिले के नाम एक अनोखा कीर्तिमान भी दर्ज होगा। यह प्रदेश का ऐसा इकलौता जिला बनेगा जिसके नक्शे पर एकमात्र विधानसभा सीट होगी।

प्रदेश का पहला विशेष अनुसूचित क्षेत्र वाला जिला

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आते ही प्रदेश का पहला विशेष अनुसूचित क्षेत्र वाले जिले का दर्जा प्राप्त हो जाएगा। प्रस्तावित जिले का पूरा इलाका आदिवासी क्षेत्र है। खास बात ये कि गौरेला ब्लॉक के घने जंगलों के बीच राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा आदिवासियों की बड़ी संख्या भी निवास करते हैं।

इस तरह मिलेगी विशेष रियायत

राज्य के अनुसूचित क्षेत्र में स्टेट सर्विस को छोड़कर अन्य सभी सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती नियुक्ति में 45 प्रतिशत सीटें स्थानीय अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी। इसी तरह पांच फीसदी सीटों पर अन्य जगहों के अनुसुचित जनजाति के लोगों को नौकरी मिलेगी जबकि 50 प्रतिशत सीटें अनुसूचित क्षेत्र के किसी भी जाति या वर्ग के लोग मेरिट के आधार पर पा सकेंगे । अनुसूचित क्षेत्र के लोगों को इस आरक्षण का लाभ खासतौर से मिलेगा।

शैक्षणिक संस्थानों में भी मिलेगा लाभ

विभिन्न व्यवसायिक स्नातक,स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए लाभ मिलेगा। इन संस्थानों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 12 प्रतिशत सीटों में से पांच-पांच प्रतिशत सीटें अनुसूचित क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित होंगी।