बिलासपुर 27 फरवरी, 2020। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से गुरुवार को भूपेश बघेल सरकार को एक तगड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार द्वारा सितंबर 2019 में प्रदेश में आरक्षण के प्रतिशत को 58 से 82 प्रतिशत किए जाने के मामले में गुरुवार को बड़ा फैेसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया और 82 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर दिया है।
याचिकाकर्ता के वकील पलाश तिवारी ने बताया कि 82% आरक्षण मामले में दायर याचिकाओं को निराकृत करते हुए हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन पीपी साहू ने कहा राज्य शासन द्वारा जारी किया गया ओबीसी आरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित नहीं हुआ। इसलिए विधेयक कानून का रूप नहीं ले सकता। अतः याचिका दायर करने का मूल उद्देश्य ही खत्म हो गया है।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने बीते स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया था कि प्रदेश में 82 प्रतिशत आरक्षण लागू करते हुए ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था।
- राज्य सरकार ने प्रदेश में आरक्षण को 58 से बढ़ाकर 82 प्रतिशत करने सितंबर 2019 में एक नोटिफिकेशन जारी किया था।
- राज्य के अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग को 13 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी।
- इस तरह से ओबीसी के आरक्षण में एक ही बार में 13 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी की गई थी।
- सरकार के इस कदम के खिलाफ याचिकाकर्ता कुणाल शुक्ला के साथ वेद प्रकाश ठाकुर, विवेक ठाकुर और नवनीत तिवारी उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी।
- याचिका में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं करने की दलील की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के इस कदम पर रोक लगा दी थी।
- इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए न्यायालय से साक्ष्य पेश करने की बात कही थी।