इतिहास बना MIG 27, जोधपुर एयरबेस से भरी आखिरी उड़ान..

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नई दिल्‍ली। जोधपुर में आज सभी सात मिग-27 ने अलग-अलग फॉर्मेशन बनाकर #AdieuMiG27 आखिरी बार उड़ान भरी और इस तरह 40 साल तक सरहद को महफूज रखने वाले 7 मिग-27 वायुसेना से रिटायर हो गए। बहादुर नाम से मशहूर इन फाइटर प्लेन को रिटायरमेंट पर वाटर कैनन की सलामी दी गई। इस दौरान इन्हें उड़ाने वाले 50 पूर्व पायलट भी जोधपुर एयरबेस पर मौजूद थे। एयरफोर्स की परेड के बाद जब एक-एक करके इन विमानों ने उड़ान भरी तो पायलट भावुक हो उठे। एयरबेस पर लैंडिंग के बाद फाइटर जेट्स को वाटर कैनन की सलामी दी गई।

क्या है खासियत

स्क्वाड्रन 29 इकलौती यूनिट है जो मिग-27 के अपग्रेड वैरिएंट का अब तक इस्तेमाल करती आ रही थी। मिग 27 का 2006 का उन्नत वैरिएंट आखिरी स्क्वाड्रन में अब तक सक्रिय रहा है। मिग सीरीज के अन्य वैरिएंट, मिग-23 BN और मिग-23 MF और विशुद्ध मिग 27 पहले ही भारतीय वायु सेना से रिटायर हो चुके हैं।

भारतीय वायु सेना के बेड़े में 1985 में शामिल किया गया यह अत्यंत सक्षम लड़ाकू विमान ज़मीनी हमले की क्षमता का आधार रहा है। वायु सेना के सभी प्रमुख ऑपरेशन्स में भाग लेने के साथ मिग-27 ने 1999 के कारगिल युद्ध में भी एक अभूतपूर्व भूमिका निभाई थी।

करगिल जंग में शामिल रहे वायुसेना के ‘बहादुर’ मिग-27 ने आखिरी उड़ान भरी

मिग-27 ने लगभग 4 दशक तक आसमान में पराक्रम दिखाया। इस फाइटर का सफर आज थम गया। राजस्थान के जोधपुर में मिग-27 स्क्वाड्रन के सभी 7 विमानों ने एकसाथ आखिरी उड़ान भरी। इसी के साथ मिग की इकलौती स्क्वाड्रन-29 स्कॉर्पियो वायुसेना से बाहर हो गई। फाइटर की विदाई को यादगार बनाने के लिए वायुसेना की सूर्यकिरण विमान की टीम जोधपुर पहुंची। सूर्यकिरण विमानों के करतबों के बीच मिग-27 को विदा किया गया। इस समारोह में मिग-27 के करीब 50 पुराने पायलट्स को भी आमंत्रित किया गया था।

बहादुर नाम से बुलाती थी सेना

वायुसेना में मिग-27 को ‘बहादुर’ नाम से बुलाया जाता है। मिग-27 विमान 1981 में वायुसेना में शामिल किया गया था। लगभग 38 साल बाद जोधपुर बेस पर इसका सफर खत्म हो गया। वायुसेना मिग-27 को ‘बहादुर’ के नाम से भी बुलाती थी, करगिल युद्ध के दौरान मिग-27 भी शामिल किया गया था। हालांकि, वायुसेना के एक अधिकारी बताते हैं कि करगिल की भूगोलीय स्थिति ऐसी थी कि मिग-27 अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर सका था। क्योंकि, दुश्मन पहाड़ की चोटी पर थे, जबकि भारतीय सैनिक तलहटी पर थे। ऐसे में अगर मिग-27 में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक बमों का इस्तेमाल किया जाता तो भारतीय सेना को भी नुकसान हो सकता था। ऐसे में सीमित हथियारों का ही इस्तेमाल मिग-27 के माध्यम से किया गया था।

लाल रंग के मिग विमानों को कहते थे हेमा मालिनी

26 जनवरी 1981 को बिना तैयार एक विमान डिस्प्ले के लिए राजपथ गया। पहला स्विंग विंग विमान देखकर सब आश्चर्य में पड़ गए, इसके बाद डिस्प्ले के लिए दो विमानों को लाल रंग से पेंट किया गया, जब लाल रंग के ये विमान उड़ते तो लोग उन्हें ‘हेमा मालिनी’ कहकर पुकारते थे। पायलट मिग-27 की ट्रनिंग लेने जोधपुर आते थे।

जहां से शुरू हुआ था सफर वहीं हुआ खत्म

38 साल पहले 1981 में जोधपुर एयरबेस से मिग-27 का सफर शुरू हुआ था। शुक्रवार 27 दिसंबर 2019 को यहीं पर इसका सफर समाप्त हो गया। मिग-23 में बदलाव करके मिग-27 को बनाया गया था। इस फाइटर जेट को हवा से जमीन पर हमला करने का बेहतरीन विमान माना जाता रहा है। इनके फेजआउट होने के बाद वायुसेना के पास मिग श्रेणी के सिर्फ मिग-21 बायसन विमान ही रह जाएंगे।

मिग-27 को फेजआउट करने वाला भारत आखिरी देश

हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने रूस से मिले लाइसेंस के आधार पर कुल 165 मिग-27 का निर्माण किया था। बाद में इनमें से 86 विमानों का अपग्रेडेशन किया गया। 1700 किमी प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम यह विमान 4000 किलो के हथियार ले जा सकता है। दुनिया के सिर्फ 5 देश सोवियत संघ, भारत, रूस, यूक्रेन और श्रीलंका के पास मिग-27 विमान थे। हालांकि, सभी देश इसे फेजआउट कर चुके हैं। सबसे आखिरी में भारत में इसे फेजआउट किया जा रहा है। अब रक्षा मंत्रालय की अनुमति के बाद इन विमानों के ढांचे को म्यूजियम में रखा जाएगा।

मिग-27 की खासियतें:

  • – कम ऊंचाई पर उड़ान भर दुश्मन के रडार को चकमा देकर हमला करने में इसे महारत हासिल थी।
  • – कम ऊंचाई पर भी इसकी रफ्तार इतनी तेज होती थी कि मिराज विमान तक इसे पकड़ नहीं पाते थे।
  • – 2010 में पूरे बेड़े को ग्राउंड पर खड़ा कर इसकी जांच की गई लेकिन हादसों पर अंकुश नहीं लग पाया। वायुसेना ने 2016 में इन विमानों को बेड़े से हटाने का फैसला कर लिया था। लेकिन नए लड़ाकू विमान मिलने में होती देरी के कारण यह नहीं हो सका।
  • – हवा में मुड़ने वाले पंख इस विमान की खासियत थे। अन्य किसी फाइटर प्लेन में यह सुविधा नहीं थी।
  • – 2010 में सभी मिग-27 की जांच कराई गई, 2016 में थी फेजआउट की योजना।
  • – इस विमान का इंजन आर-29 हमेशा से परेशानी का सबब रहा। पिछले दो दशक में हर साल औसतन 2 विमान हादसे का शिकार हुए।
  • – मिग-27 विमानों के फेजआउट होने के साथ ही इसकी स्क्वाड्रन को मार्च में नंबर प्लेट यानी इसका रिकार्ड बंद कर दिया जाएगा।