आज सरोज पांडेय का BIRTHDAY: देश में ये रिकॉर्ड सिर्फ सरोज के पास है, छात्र राजनीति करते-करते कैसे दिल्ली तक पहुंची, यहां पढ़िए पूरी कहानी…

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22 जून 2019 भिलाई। सरोज पांडेय। बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव हैं और महाराष्ट्र की प्रभारी हैं। आज उनका बर्थडे है। सो आज उनके कॅरियर पर बात करेंगे। सरोज के नाम एक ऐसा रिकॉर्ड है जो शायद किसी के नाम दर्ज नहीं है। सरोज मेयर, विधायक, लोकसभा और राज्यसभा तक पहुंच चुकी है। वे ऐसी पहली महिला है। जो इतने सारे पदों में रही। अब थोड़ा फ्लैशबैक पर चले जाते हैं।
1992-93 में रविशंकर शुक्ल विवि से MHSc किया है। सरोज छात्र राजनीति में सक्रिय रही हैं। ये वो वक्त था, जब वो दुर्ग के शासकीय महिला महाविद्यालय में थीं। बिना किसी राजनीतिक बैकग्राउंड के इन्होंने पार्टी के तौर पर बीजेपी को चुना। साल 2000 में इन्हें दुर्ग नगर निगम का महापौर चुना गया और 2005 में जनता ने इन्हें रिपीट भी किया। दुर्ग में ये लगातार 10 साल मेयर रहीं और इस बीच इन्हें बेस्ट मेयर का अवॉर्ड भी मिला। साल 2008 में बीजेपी ने इन्हें दुर्ग जिले की वैशाली नगर सीट से विधानसभा का टिकट दिया। वैशाली नगर सीट उस समय नई ही थी। दिसंबर 2008 में सरोज ने इस सीट पर कांग्रेस के बृजमोहन सिंह को 21,267 वोटों से हराया। इस तरह वो महापौर रहते हुए विधायक भी बन गईं। 2008 में ही उन्हें बीजेपी महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया। अगले साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन्हें दुर्ग से लोकसभा उम्मीदवार भी बना दिया।

जब ताराचंद साहू से हुआ सामना
दुर्ग सीट पर बीजेपी 1996 से काबिज थी और ताराचंद चार बार सांसद रह चुके थे। लेकिन उनके बागी होने पर 2009 में बीजेपी ने सरोज पांडेय को टिकट दिया और सरोज जीत भी गईं। 2009 के चुनाव में कांग्रेस के प्रदीप चौबै दूसरे नंबर पर रहे थे और ताराचंद तीसरे नंबर पर खिसक गए थे।

तब साहू से हार गईं सरोज
2014 में जब बीजेपी के टिकट पर देशभर में कई नए-नवेले नेता चुनाव जीत रहे थे, तब सरोज पांडेय दुर्ग से लोकसभा चुनाव हार गईं। उन्हें हराया था कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने। ये छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस की जीती हुई इकलौती लोकसभा सीट थी। इसके बाद बीजेपी ने यूपी के अपने नेता स्वतंत्र देव सिंह को हार का कारण जानने के लिए छत्तीसगढ़ भेजा था। जवाब ये मिला कि सरोज पार्टी की आंतरिक गुटबाजी की वजह से हारीं।

पद्मभूषण तीजन बाई के साथ

चुनाव हारने के बाद बड़ी नेता बन गईं सरोज
छत्तीसगढ़ में सरोज का विरोधी खेमा ये मान रहा था कि लोकसभा चुनाव हारने से उनके करियर पर विराम लग जाएगा, जबकि हुआ इसके उलट। ये चुनाव हारने के बाद सरोज और बड़ी नेता बनकर उभरीं। उन्हें महाराष्ट्र का प्रभार दिया गया और जब बीजेपी ने महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन किया, तो इसका सेहरा सरोज पांडेय के सदस्यता अभियान के सिर बंधा। इससे पहले अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद सरोज को राष्ट्रीय महासचिव बनाया ही जा चुका था।

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