देशभर में 73वे स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की धूम, आइये एक नजर डाले आजादी के उन महान नायकों की बलिदान की कहानी पर..

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Independence Day 2019 Fighters/ 15 अगस्त 2019 को भारत अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस बार का दिन खास इसलिए भी है क्योंकि रक्षा बंधनको त्योहार भी मनाया जाता है। भारत में 15 अगस्त को और पाकिस्तान हर साल 14 अगस्त अपने अपने आजादी का दिन मनाया जाता है। भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था। लेकिन भारत की आजादी के लिए कई महान नायकों, वीर सपूतों, स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया।

इस दिन भारत अंग्रेजों की 200 साल पुरानी गुलामी से आजाद हुआ था। सबसे 1857 की सबसे पहली क्रांति ने देश में आजादी की चिंगारी सुलगाई थी। इसके बाद वक्त वक्त पर कई आंदोलन, भूख हड़ताल और अंग्रेजों के विरोध प्रदर्शन हुए। भारत के स्वतंत्रता सेनानी ऐसे व्यक्ति थे। जिन्होंने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और भारत में हमारे राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और उन सभी उपनिवेशों से छुटकारा पाया जो व्यापार के नाम पर भारत आए और यहां हमें अपना गुलाम बनाया। भारत में डच, पुर्तगाली, अंग्रेजी, फ्रेंच, तुर्की देशों के लोग आए थे।

लेकिन अंग्रेजों के साथ व्यापार करने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई और यहीं से शुरु हुआ भारत को गुलाम बनाने का सपना। 1857 से लेकर 1947 तक महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव, चंद्र शेखर आजाद, तिलका मांझी, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, जवाहर लाल नेहरू, रानी लक्ष्मी बाई, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सरदार वल्लभाई पटेल, बहादुर शाह जफर, मंगल पांडे, राजेंद्र प्रसाद, सरोजिनी नायडू आदि का नाम शामिल रहा है।

15 अगस्त 1947 को पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इसके बाद हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिंरगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरे कार्यकाल का पहली बार संबोधन करेंगे। ये हैं भारत के वो महान नयाक, जिन्होंने अंग्रेजों से आजादी के लिए की लड़ाई

महात्मा गांधी – मोहनदास करमचंद गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी और दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए एक प्रभावशाली व्यक्ति थे। अफ्रीका में जब ट्रेन से यात्रा करते समय एक घटना घटी। उसके बाद वो भारत आए और आजादी के लिए कई आंदोलन चलाए।

पंडित जवाहरलाल नेहरू – नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। उन्होंने आधुनिक भारत के वास्तुकार का नाम दिया गया। 14 नवंबर को उनके जन्मदिन को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। आजादी की लड़ाई में नेहरु का बहुत बड़ा योगदान रहा।

सुभाष चंद्र बोस- भारत की आजादी में सुभाष चंद्र बोस का भी बहुत बड़ा योगदान रहा, भारत ही नहीं कई देशों की यात्राएं भी की। जिन्हें हम प्यार से नेताजी कहते हैं। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। नेताजी विमान में टोक्यो के लिए रवाना हुए, लेकिन विमान फॉर्मोसा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन आज भी उनकी मौत एक रहस्य बनी हुई है।

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव– भगत सिंह और उनके दोस्तों ने भी आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया। भारत में ब्रिटिश संसद में एक बम को फेंकने की योजना बनाई और उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें 1929 में 14 साल की सजा सुनाई गई थी। एक अन्य मामले में, उन्होंने मौत की सजा सुनाई थी। फांसी पर चढ़ाने से पहले उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा दिया था। वो रूस की क्रांति से ज्यादा प्रभावित थे।

चंद्र शेखर आजाद – भगत सिंह की टीम की तरह आजाद भी आजाद ख्यालों वाले थे। उन्होंने दिल्ली में सेंट्रल असेंबली में बम विस्फोट किया। एक दिन जब आजाद अल्फ्रेड पार्क में बैठे थे। तभी पुलिस ने उन्हें घेर लिया लेकिन वो अंतिम सांसों तक ब्रिटिश सरकार के कभी हाथ नहीं आए। इसलिए उन्होंने खुद को गोली मारकर ली थी।

तिलका मांझी- इतिहासकारों की मानें तो मंगल पांडे से लगभग 100 साल पहले 1784 में तिलका मांझी ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाने वाले पहले शख्स थे। वो आदिवासी समूह के नेता थे। जिन्होंने अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए पहली बार हथियार उठाए थे।

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तारकनाथ दास- भारत की आजादी में सिर्फ स्वतंत्र सेनानियों का ही नहीं बल्कि पत्रकारों की भी अहम भूमिका रही। दास इंडियन इंडिपेंडेंस लीग समाचार के संस्थापक थे। जिन्होंने हिंदुस्तान समाचार पत्र की नींव रखी। एक ब्रिटिश विरोधी संगठन था। जिसने गदर पार्टी का गठन किया।

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सुरेन्द्रनाथ बनर्जी– भारत के इन स्वतंत्रता सेनानियों में सुरेंन्द्रनाथ बनर्जी का नाम भी आता है। जब 1896 में भारत की सिविल सेवा के लिए चुना गया, लेकिन विवाद के चलते उन्होंने बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना की। वो दो बार राष्ट्रपति चुने गए। उनके नेतृत्व में स्वदेशी आंदोलन और बंगाल के विभाजन के खिलाफ कई अभियान चले।

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उल्लास्कर दत्ता – भारत की आजादी में कुछ नाम ऐसे भी हैं जिन्हें हम जानते नहीं हैं। ऐसा ही एक नाम उल्लास्कर दत्ता का भी है। ब्रिटिश प्रोफेसरों में से एक प्रोफेसर रसेल ने बंगाली समुदाय के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की। जिसके बाद उन्होंने प्रोफेसर पर हमला किया। समय समय पर आजादी के इन दीवानों ने भी अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जमकर लिखा और आंदोलन भी किए।

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शरत चंद्र बोस – वो एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। शरत चंद्र बोस एक बैरिस्टर और भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे। वह जानकीनाथ बोस के बेटे और सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई थे। इस लिस्ट में कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी हैं जिनके नामों को हम कम ही जानते हैं लेकिन देश को आजादी दिलवाने में इन्ही का नहीं बल्कि और भी कई सारे लोग थे जिन्होंने मातृ भूमि की आजादी के लिए अपना लहू कुर्बान कर दिया।

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