घुसपैठिये ब्लैकमेलरों को नेस्तनाबूद करना जरूरी: वरिष्ठ पत्रकार शंकर पांडेय

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता में घुसपैठिये ब्लैकमेलर पत्रकारों के कारण लगातार बिगड़ रहे माहौल को लेकर मैं लगातार आगाह करता रहा हूं। कुछ रोज पहले मैंने इस पर लगातार पोस्ट भी किया था कि इन ब्लैकमेलरों की वजह से नयी पीढ़ी की पत्रकारिता तबाह हो रही है। कितने निचले स्तर पर और कितने घटिया तौर-तरीकों का इस्तेमाल करते हुए इन लोगों ने पत्रकारिता को दागदार कर दिया है। मैंने मांग की थी कि ऐसे पत्रकारों के खिलाफ कार्यवाही से शासन-प्रशासन को गुरेज नहीं करना चाहिए। इन लोगों के खिलाफ आ रही शिकायतों को लेकर उदारता कतई नहीं बरतनी चाहिए। मैंने इन ब्लैकमेलरों के बढ़ते दुस्साहस को लेकर जो आशंकाएं व्यक्त की थीं, वे सब की सब आज सच साबित हो रही हैं। एक ब्लैकमेलर अपने गैंग के साथ एक आम व्यापारी को ब्लैकमेल करता हुआ दबोचा गया है। अफसरों-कर्मचारियों से उगाही के बाद अब ये लोग आम लोगों की जिंदगी में घुसकर उन्हें भी डराने-धमकाने लगे हैं। ये ब्लैकमेलर आम लोगों के घरों की खिड़कियों के भीतर झांक रहे हैं, ताकि वहां भी ब्लैकमेलिंग की गुंजाइश टटोली जा सके। किसी को अपने घरेलू सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए शासन-प्रशासन की अनुमति लेना पर्याप्त नहीं रहा, इन ब्लैकमेलरों के लिए चढ़ावे का इंतजाम करना भी जरूरी हो गया है, वरना ये लोग अपना कैमरा और माइक लेकर घरों में घुस आएंगे। किसी भी रिश्तेदार, किसी भी दोस्त या अतिथि के चेहरे पर कैमरा टिका देंगे। उनके मुंह में माइक घुसेड़ देंगे।

जो ब्लैकमेलर पत्रकार रायपुर पुलिस द्वारा दबोचा गया है उसके बारे हैरान कर देने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि इस व्यक्ति का घर चार एकड़ में है। वह किसी रिसोर्ट जैसा इतना आलीशान है कि छापा डालने गई पुलिस भी हैरान रह गई। कुछ रोज तक यह ब्लैकमेलर एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल का माइक लेकर घूमता रहता था। अपनी इसी तरह की हरकतों के कारण वहां से हकाला गया तो उसने फर्जी पोर्टल शुरु करके धंधा शुरु कर दिया। मैंने यह भी बताया था कि घुसपैठिये ब्लैकमेलर किस तरह फर्जी नामों से फर्जी न्यूज पोर्टल चला रहे हैं। आज वह बात भी साबित हो गई है। पुलिस की कार्यवाही के बाद अब यह व्यक्ति खुद स्वीकार कर रहा है कि उसने फर्जी नामों से लेख लिखे और फर्जी पोर्टल चलाए।

मैं रायपुर पुलिस और शासन-प्रशासन को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने पत्रकारिता के अपराधीकरण पर रोक लगाने की दिशा में कार्यवाही शुरु की। इन ब्लैकमेलरों की संपत्तियों की जांच भी होनी चाहिए। अवैध पाए जाने पर उन्हें जब्त अथवा नेस्तनाबूद कर देना चाहिए।