108 का संचालन करने वाली संस्था जेएईएस ने रखा अपना पक्षए आरोपों को बताया निराधार और दुर्भावना से प्रेरित

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रायपुर। मुख्यमंत्री कार्यालय एवं स्वास्थ्य सचिव के समक्ष किये गए शिकायत को लेकर 108 संजीवनी एक्सप्रेस की संचालन करने वाली संस्था जेएईएस ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए इसे दुर्भावना से प्रेरित बताया है।
संस्था ने सारे आरोपों को लेकर बिंदुवार अपना पक्ष रखा है। संस्था ने कहा कि 108 का टेंडर उन्हें शासन के सभी नियमों और शर्तों का पालन करने के बाद मिला है। बेबुनियाद आरोप लगाकर कुछ लोग संस्था के नाम को धूमिल करते हुए 108 संजीवनी एक्सप्रेस की सुचारू रूप से चल रही सुविधा पर अड़चने डालने का काम कर रहे हैं। संस्था के सभी स्टॉफ दक्ष एवं योग्य हैं। कौशल परीक्षण के पश्चात ही उन्हें लिया गया है। और वे वैश्विक महामारी के बीच पूरी निष्ठा और समर्पण भाव से काम कर रहे हैं।
संस्था द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर बिंदुवार रखे गए जवाब

विरोधी कंपनियों द्वारा संस्था जय अम्बें इमरजेंसी सर्विसेस आई प्राइवेट लिमिटेड पर आरोप लगाया जा रहा है कि एल-1 कंपनी के पास अनुभव नही होने की अनदेखी की गई है। चिकित्साकर्मियों के प्रशिक्षण संबंधी दस्तोवज नही है। पार्टनर टर्नओवर 45 करोड़ होना चाहिए, लेकिन सभी साझेदारों को मिलाकर 45 करोड़ हो रहा है। साझेदारों के नाम में भी गड़बडी की गई है। जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए है उनका सत्यापन विभाग द्वारा नही किया गया है। अगस्त में निविदा हुई लेकिन कुछ दस्तावेज मार्च के महीने में भी लिए गए आदि शामिल है।

        1.यह आरोप गलत एवं निराधार है, संस्था द्वारा 108 एम्बुलेंस सेवा (“संजीवनी एक्सप्रेस”) के संचालन हेतु जारी निविदा में सारे ,नियमों का पालन करते हुए ही भाग लिया गया था। आरोप लगाया जा रहा है कि अनुभव नही होने को अनदेख किया गया है जबकि ऐसा नही है, आर.एफ.पी की कंडिका क्रमांक 3.2.1 के अनुसार आपातकालीन सेवा 108 संजीवनी एक्सप्रेस का संचालन करने हेतु प्रतिभागी बीडर को न्यूनतम 100 एम्बुलेंस चलाने का अनुभव होना चाहिए जिसमें 90 प्रतिशत एम्बुलेंस और  एवं 10 प्रतिशत एडवांस लाइफ सपोर्ट  एम्बुलेंस होना चाहिए। आपको सूचित करना चाहेगें कि इस निविदा के लिए जो अनुभव मांगा गया था उक्त अनुभव को हमारे कन्सोर्टियम पार्टनर कंपनी सम्मान फाउंडेशन के कार्य अनुभव द्वारा पूर्ण किया गया है एवं यह भी प्रश्न उठाया गया है कि एल 1  कंपनी ने जो अनुभव दिया है उसमें शव वाहन चलाने का अनुभव भी शामिल किया गया है जबकि हमारे द्वारा चलाये गये शव वाहन के अनुभव को इस निविदा में अनुभव के रूप में दिया ही नहीं गया है। यानी वस्तुस्थिति यह है कि हमसे शव वाहन चालने का अनुभव प्रमाण पत्र मांगा ही नही गया था। जब मांगा ही नही गया, तो हमारे द्वारा उसे दिये जाने का प्रश्न ही नही उठता है। अत: यह कहना कि शव वाहन के दस्तावेज लगाकर हमने एम्बुलेंस चालने का ठेका ले लिया है यह पूरी तहर से मिथ्यपूर्ण निराधार है।
  1. यह आरोप भी लगाया गया है कि निविदा में भाग लेने हेतु पार्टनर टर्नओवर 45 करोड़ होना चाहिए, लेकिन सभी साझेदारों को मिलाकर 45 करोड़ हो रहा है। आपको यहां बताना चाहेगें कि आर.एफ.पी के कॅरियंडम की कडिंका क्रमांक 3.2.4 के अनुसार बीडर के 45 करोड़ का टर्न ओवर मांगा गया था जिसमें 10 प्रतिशत अम्बुलेटरीय सर्विसेस टर्न ओवर मांगा गया था संस्था द्वारा 10 प्रतिशत अम्बुलेटरीय सर्विसेस टर्न ओवर कन्सोर्टियम पार्टनर कंपनी) सम्मान फाउंडेशन द्वारा पूरा किया गया था एवं बाकी 35ः टर्न ओवर को अन्य कन्सोर्टियम पार्टनर कंपनियों का टर्न ओवर मिलकर पूरा किया गया था। यानी निविदा में सभी पार्टनरों एक नियम यह था, कि 45 करोड़ टर्न ओवर सभी तरह से हो सकता है। हमारी संस्था ने इस नियम का भी अक्षरशः पालान किया है।
  2. विरोधी कंपनियों द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किये गये दस्तावेजों का सत्यापन विभाग द्वारा नही किया गया है जबकि ऐसा नही है संस्था द्वारा प्रस्तुत किये गये सभी दस्तावेजों का विभाग द्वारा अनेकों बार जांच प्रक्रिया पूर्ण किया गया है एवं इसी क्रम में आपको बताना चाहेगें कि निविदा में शमिल सभी प्रतिभगियों सहमति एवं संतुष्टि के उपरांत ही निविदा ओपन किया गया था।
  3. विरोधी कंपनियों द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि निविदा अगस्त के महीने में प्रकाशित हुई किंतु दस्तावेज मार्च के महीने में लिए गए है, आपको बताना चाहेगें कि हमारे द्वारा दिये गये सभी दस्तावेज निर्धारित तिथि में ही जमा किये गये है।
  4. प्रतिस्पर्धी कंपनियों द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि साझेदारों के नाम में भी गड़बडी की गई है। आपको बताना चाहेगें कि यह आरोप गलत है, छत्तीसगढ़ राज्य में 108 संजीवनी एक्सप्रेस के संचालन हेतु 4 कंपनियों के बीच कन्सोर्टियम अनुबंध हुआ है जो कि इस प्रकार है
     जय अम्बें इमरजेंसी सर्विसेस (आई) प्राइवेट लिमिटेड पार्टनर (लीड बीडर )
     सम्मान फाउंडेशन (कन्सोर्टियम पार्टनर कंपनी )
     जय अम्बे रोडलाइनस (कन्सोर्टियम पार्टनर कंपनी )
     प्रगति इंडियन रोडलाइनस(कन्सोर्टियम पार्टनर कंपनी )
  5. यह भी शिकायत की गई है कि ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट में आयोग्य चिकित्सको को भर्ती किया गया है जैसा कि आर.एफ.पी में स्पष्ट उल्लेखित है कि चिकित्सकों की योग्यता एम.बी.बी.एस होने चाहिए। संस्था द्वारा पैसा बचाने के उदेश्य से बी.एम.एस एव ंबी.एच.एम.एस चिकित्सक सेवा प्रदान करने हेतु उपस्थित किये गये है।

इस संदर्भ में आपको बताना चाहेगें कि संस्था द्वारा संचालित 30 ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिटों में कार्यरत एम.बी.बी.एस चिकित्सकों द्वारा कोरोना वायरस महामारी के दिनबदिन बढ़ते प्रकोप के कारण ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से सेवा प्रदान करने हेतु कार्य में उपस्थित होने हेतु मना किया जा रहा है जिसके कारण ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में उत्पन्न हो रही बाधाओं के संदर्भ में एवं वर्तमान महामारी की परिस्थिति को म६ेनजर रखते हुए संस्था द्वारा इस संदर्भ में मार्गदर्शन प्रदान करने एवं महामारी के अवधि में बी.एम.एस चिकित्सक या बी.एच.एम.एस चिकित्सकों को ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट के माध्यम से दूरस्थ पहुंचविहीन एवं आदिवासी बाहुल्य अंचलों के आमजनों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु अनुमति एवं मार्गदर्शन/सुझाव प्रदान करने कृपा करें हेतु एवं इस आपातकालीन परिस्थिति में बी.एम.एस एवं बी.एच.एम.एस चिकित्सक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट में उपस्थित करने हेतु संस्था द्वारा अनेकों बार पत्र प्रेषित अनुरोध प्रेषित किया गया था, एवं ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट वाहनें में हमोश चिकित्सक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु उपस्थित रहें है एवं इनका सत्यापन ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट के राज्य नोडल अधिकारी श्री कमलेश जैन जी द्वारा प्रतिदिन ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट उपस्थित चिकित्सक एवं अन्य कर्मचारियों से बात कर सत्यापन भी किया जाता रहा है।

वर्तमान में कोरोना वायरस महामारी के कारण कोई भी एम.बी.बी.एस चिकित्सक दूररस्थ्य एवं पहुंचविहीन क्षेत्र में उपस्थित होकर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु तैयार नही है इसलिए संस्था द्वारा पत्रों के माध्यम से ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट वाहनों में वर्तमान में उत्पन्न हुए आपातकालीन परिस्थित को म६ेनजर रखते हुए एवं सेवा की निबार्धता को बनाये रखने हेतु बी.एम.एस एवं बी.एच.एम.एस चिकित्सक उपस्थित करने हेतु अनुमति प्रदान करने हेतु संचालनालय स्वास्थ्य सेवायें, छत्तीसगढ़ में अनुरोध प्रेषित किया गया है।

  1. यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट में परिचालन में बहुत सी वाहनें पुराने है एवं आर.एफ.पी के नियामनुसार नही है, शासन द्वारा 30 ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट नयी वाहनों के लिए निविदा किया गया था जिसका संस्था द्वारा अवहेलना किया जा रहा है एवं विभाग द्वारा इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नही की जा रही है ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग के कर्मचारी संस्था के साथ संलिप्त है।

आपको सूचित करना चाहेगें कि यह आरोप बेबुनियाद है। ग्रामीण मोबाईल मेडिकल यूनिट के परिचालन में उपस्थित 30 वाहने आर.एफ.पी के नियामनुसार है एवं नयी है।