मध्यप्रदेश ब्रेकिंग: शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ.. बेहद सादे समारोह में देर रात राजभवन में हुआ शपथ ग्रहण समारोह… आज विधानसभा में साबित करना होगा बहुमत…

0
119

भोपाल। पंद्रह महीने विपक्ष में रहने के बाद फिर शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मध्यप्रदेश की कमान संभाल ली है। चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले मप्र के पहले राजनेता हैं। इससे पहले शिवराज ने 13 साल तक मप्र के सीएम की कुर्सी संभाली है। सोमवार रात 9 बजे राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में आयोजित बेहद सादे समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ लेने वाले चौहान अकेले नेता हैं। कैबिनेट के बाकी मंत्रियों को कुछ दिनों बाद शपथ दिलाई जाएगी। 

विस की बैठक आज से, बहुमत साबित करेंगे

उधर शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा की मंगलवार से तीन दिन के लिए बैठक बुलाने का फैसला किया। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि वे मंगलवार को विश्वास मत हासिल करने का प्रस्ताव रखेंगे। बताया जा रहा है कि इसी दौरान वर्ष 2020-21 के लिए लेखानुदान भी प्रस्तुत किया जाएगा।

पीएम मोदी ने दी बधाई…

शिवराज सिंह के शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्‍हें बधाई दी। मोदी ने लिखा कि शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनने पर बधाई। वह सक्षम और अनुभवी प्रशासक हैं और मप्र के विकास को समर्पित हैं। हमारी शुभकामनाएं हैं कि मप्र उनके नेतृत्व में विकास की नई ऊंचाइयां प्राप्त करें।

शिवराज ने दिए तीन सूत्र

चौथी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले शिवराज ने भाजपा विधायक दल की बैठक में ही स्पष्ट कर दिया कि पिछली सरकार की गलतियां इस सरकार में नहीं दोहराई जाएंगी।

1. शासन करने की शैली में परिवर्तन किया जाएगा। सब मिलकर काम करेंगे । आशय साफ है कि पिछली सरकार में कार्यकर्ताओं की भारी उपेक्षा की गई थी,जो अब नहीं होगी ।

2. विधायकों की नाराजगी दूर करेंगे – शिवराज के तीसरे कार्यकाल में पूरे वक्त विधायकों की नाराजगी रही । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की समन्वय बैठकों में भी विधायकों ने तत्कालीन सरकार पर ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का कई बार आरोप लगाया था ।

3. कोरोना संकट बड़ा संकट-शिवराज ने कहा ,ये वक्त जश्न मनाने का नहीं और न ही सरकार बनने पर पटाखे फोड़ने का है। प्रदेश संकट में है। हम सब को मिलकर संपर्क की चेन को तोड़ना है ताकि कोरोना को काबू में किया जा सके।

शुरू से ही आश्वस्त दिखे शिवराज

पिछले चार दिनों से मीडिया में भारतीय जनता पार्टी के नए नेतृत्व के कई दावेदारों की खबरें चल रही थीं। कोई केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भावी मुख्यमंत्री बता रहा था तो कोई अन्य नेताओं की ताजपोशी के दावे कर रहा था । दिल्ली में कई नेता मंथन कर रहे थे लेकिन शिवराज के चेहरे पर कहीं कोई शिकन नहीं थी । वे हमेशा ही आश्वस्त नजर आए,मानो उन्हें हाईकमान ने पहले ही परिणाम से अवगत करा दिया हो ।

शिवराज की स्थिति मध्यप्रदेश में परिवार के मुखिया जैसी है। भाजपा परिवार में भी चौहान की मुखिया जैसी ही स्वीकृति है । पिछले एक सप्ताह से जब मप्र में सत्ता संघर्ष चल रहा था तो उन्होंने कई बार ललकार लगाई। आक्रामकता भी दिखाई। सारे बड़े नेता दिल्ली में रणनीति तैयार करते लेकिन शिवराज मप्र में ही पार्टी दफ्तर से लेकर राजभवन तक अपनी भूमिका निभाते रहे। यहीं रहकर रणनीति बनाते रहे।

सिंधिया समर्थक बागी विधायकों को जब दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सदस्यता दिला रहे थे तो शिवराज भोपाल में रहकर विधायक शरद कोल के इस्तीफे की उलझन को सुलझा रहे थे । जैसे ही कोरोना के खतरे ने मप्र में दस्तक दी तो उन्होंने कार्यवाहक कमलनाथ सरकार के साथ सेतु की भूमिका में आ गए । रविवार को जब दिल्ली में नेता चयन को लेकर बैठकों का दौर चल रहा था तो शिवराज भोपाल में कोरोना के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे थे ।

नेता चयन की बारी में भी वे एकाग्र बने रहे । पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध रहे। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चौहान से दो बार बात की । साफतौर पर संदेश दिया कि वे प्रशासन के संपर्क में बने रहें। इस बातचीत के बाद शिवराज का आत्म विश्वास और भी बढ़ गया था। उनके चेहरे के हावभाव बता रहे थे कि वे जल्द ही चौथी बार मप्र की कमान संभालने वाले हैं।

हाईकमान ने बदला फैसला

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक हाईकमान (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह) पहले 25 मार्च यानी नवरात्र की शुरुवात के अवसर पर शपथ दिलवाना चाहता था लेकिन कोरोना के बढ़ते संकट को देखते हुए दो पहले ही शपथ दिलाने का फैसला ले लिया गया ।

पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चुना विधायक दल का नेता

इससे पहले भाजपा विधायक दल की बैठक में शिवराज को सर्वसम्मति से नेता चुना गया था। विधायक दल की बैठक का संचालन दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय पर्यवेक्षक और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरण सिंह व मप्र प्रभारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्घे ने किया। कोराना वायरस के व्यापक खतरे को देखते हुए यह देश में पहला अवसर है, जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विधायक दल का नेता चुना गया। सबसे पहले गोपाल भार्गव ने नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा दिया। भार्गव ने ही शिवराज को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, गोपीलाल जाटव, मीना सिंह और पारस जैन ने उनके नाम का समर्थन किया। इस दौरान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने शिवराज का स्वागत किया।

कार्यवाहक मुख्यमंत्री थे कमलनाथ

कांग्रेस के 22 विधायकों के बगावत करने और सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसके बाद, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से ही कमलनाथ सरकार को राज्यपाल ने कार्यवाहक के तौर पर काम करने के निर्देश दिए थे।