ममता के मंत्री का तीन तलाक बिल मानने के इंकार, संसद को किया चैलेंज.. पश्चिम बंगाल में बढ़ सकता है विवाद..

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नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के एक मंत्री ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून-2019 को नहीं मानने का ऐलान कर दिया है। ममता सरकार में मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने कहा है कि वे मानते हैं कि नया कानून इस्लाम पर हमला है, इसलिए उसे स्वीकार नहीं करेंगे।

हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे- मंत्री

गौरतलब है मंगलवार को राज्यसभा से पास होने के बाद बुधवार को राष्ट्रपति की मुहर लगने वाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून-2019 पूरे देश में लागू हो चुका है। लेकिन, पश्चिम बंगाल के एक मंत्री सिद्दिकुल्लाह चौधरी ने इसको लेकर बहुत ही विवादित और आपत्तिजनक बयान दिया है। उन्होंने बिल पास होने के बारे में कहा है कि “यह बहुत दुख का विषय है, यह इस्लाम पर हमला है। हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे। जब सेंट्रल कमिटी की बैठक होगी, तब हम आगे की कार्रवाई पर फैसला करेंगे।” गौरतलब है कि ममता के ये मंत्री जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पश्चिम बंगाल यूनिट के अध्यक्ष भी हैं।

पश्चिम बंगाल में बढ़ सकता है विवाद

माना जा रहा है कि राज्य सरकार के एक मंत्री का देश की संसद से पास और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से बने कानून पर इस तरह का बयान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। खासकर विपक्ष इस मुद्दे को लेकर तृणमूल कांग्रेस सरकार को जरूर घेरने की कोशिश कर सकता है। वैसे भी पश्चिम बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के तेवर लोकसभा चुनाव के बाद से काफी आक्रामक बने हुए हैं और बीजेपी को इससे बैठे-बिठाए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा मिल सकता है।

तीन तलाक अब अपराध बना

  • बता दें कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून-2019 के तहत अब एक साथ तीन तलाक गैर-कानूनी हो चुका है और इस अपराध के जुर्म में अपराधी को 3 साल तक की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
  • अब मुस्लिम पति बोलकर, लिखित या किसी भी माध्यम से बीवी को तीन तलाक नहीं दे सकता, क्योंकि यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आ चुका है। यही नहीं अगर पीड़िता पुलिस के पास शिकायत लेकर जाती है तो आरोपी को मैजिस्ट्रेट भी तभी बेल दे पाएगा, जब वह पीड़िता का पक्ष भी सुन ले।
  • यही नहीं मैजिस्ट्रेट की इजाजत से तलाक हो जाने की स्थिति में भी पत्नी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। ये वो प्रावधान हैं जिनका मौलाना शुरू से विरोध करते रहे थे, लेकिन अब सरकार ने इस कड़े कानूनी प्रावधान को लागू कर दिया है।

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