डॉ. पुनित गुप्ता के खुलने लगे कई राज, सुविधा के नाम पर DSK को कर्ज में डूबोया, सरकारी संस्थाओं तक के खजाने को कराया खाली..

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31 मार्च, 2019 रायपुर। दाऊ कल्याण सिंह (डीकेएस) सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने तीन किस्तों में 50 करोड़ रुपये दिए, जो अस्पताल की भव्यता (सुपर लग्जीरियस) और खरीदी में कम पड़ने लगे। इसके बाद तत्कालीन अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता ने सरकार को 64 करोड़ रुपये के लोन का प्रस्ताव भेजा, जिसे वित्त विभाग ने कुछ ही दिनों में स्वीकृत भी कर दिया। यानी कुल राशि हुई 104 करोड़ रुपये। इसके अलावा भी डीकेएस को खड़ा करने में बजट लड़खड़ाने लगा।

काम कुछ दिनों के लिए रुकने की बात भी सामने आई। इसकी वजह थी आवश्यकता से अधिक उपकरणों, फर्नीचर की खरीदी, आउटसोर्सिंग और मनमर्जी से अधिक पदों पर स्टाफ की नियुक्तियां। ऐसे में बगैर बजट आए काम आगे बढ़ पाना संभव नहीं था।

यह जगजाहिर था कि रमन सरकार में डॉ. गुप्ता से स्वास्थ्य विभाग का कुछ भी छिपा हुआ नहीं था। वे मंत्री, विभाग के प्रमुख सचिव से सीधे बात करते थे। उन्हें हर एक जानकारी थी कि स्वास्थ्य विभाग की किस शाखा में कितना बजट है। यहीं से उन्होंने एक के बाद कई प्रस्ताव बनाए, सरकार को भेजे और सरकारी आदेश जारी होते चले गए।

मिली जानकारी के मुताबिक पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, यूरोपियन कमीशन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), आयुष विश्वविद्यालय से लाखों-करोड़ों रुपये डीकेएस अस्पताल के अकाउंट में ट्रांसफर हुए थे।

सभी संस्थानों के प्रमुखों ने अस्पताल प्रबंधन से उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) मांगे जो आज तक नहीं दिए गए हैं। उधर पुलिस ने अपनी जांच में इन सभी संस्थान प्रमुखों के बयान भी दर्ज किए हैं।

सुविधाएं सभी हुई महंगी-

अस्पताल में भले ही मरीजों को सभी सुविधाएं मिल रही हों, लेकिन किफायती कुछ नहीं है। पैथोलॉजी जांच, रेडियाडाग्नोसिस जांच महंगी है। ये सेवाएं आऊटसोर्सिंग मोड पर हैं। महीने में 4.50 करोड़ रुपये सिर्फ इन्हीं सेवाओं में जा रहे हैं।

कहां से कितना आया बजट

पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, रायपुर- दो किस्तों में दो-दो करोड़ रुपये हुए जारी। यह राशि स्वाशासी मद की थी। नियमानुसार इस राशि का इस्तेमाल छात्र हित में ही किया जाना है। कहां हुआ यह स्पष्ट नहीं हुआ है।

यूरोपियन कमीशन

यूरोपियन कमीशन से स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए भारी-भरकम बजट आता था, जो 2017-18 से आना बंद हो गया। इसके पूर्व डीकेएस के लिए यूरोपियन कमीशन से चार किस्तों में बजट जारी हुआ। 1.24 करोड़, 1.08 करोड़, 5.75 करोड़, 1.18 करोड़ जारी हुआ थे। खर्च कहां हुआ, इसे लेकर उपयोगिता प्रमाण-पत्र स्वास्थ्य विभाग द्वारा मांगा जा रहा है, लेकिन अस्पताल ने अब तक नहीं दिया है।

एनएचएम

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) को भी तत्कालीन सरकार ने आदेश दिए कि वह भी अपने बजट से डीकेएस के लिए फंड जारी करे। एनएचएम के तत्कालीन एमडी ने 40 लाख रुपये जारी किए थे।

आयुष विश्वविद्यालय

आयुष विश्वविद्यालय में डॉ. पुनीत गुप्ता के पिता डॉ. जीबी गुप्ता कुलपति हुआ करते थे। डॉ. गुप्ता ने आयुष विवि को भी नहीं छोड़ा। पिता ने बेटे के संस्थान के लिए 70 लाख रुपये जारी करवाए थे। यह राशि किस मद में खर्च करने के लिए जारी किए गए, अब तक आयुष ने इसके लिए जानकारी नहीं मांगी है।

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