मोदी सरकार का बड़ा फैसला, विकास और रोजगार में आ रही परेशानी को दूर करने बनाई दो कैबिनेट कमेटी, ये मंत्री है शामिल..

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05 जून 2019, नई दिल्ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में रोजगार और अर्थव्यवस्था को लेकर शुरुआत में ही बुरी खबर आई थी। इससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमर कस ली है। उन्होंने बुधवार को अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा फैसला लिया। पीएम मोदी ने खुद की अध्यक्षता में दो कैबिनेट कमेटी बनाई, जो उन क्षेत्र में आ रही परेशानियों को दूर करेंगी।

पीएम मोदी ने बनाई दो कमेटी

  • निवेश और विकास को लेकर पीएम मोदी ने जो कमेटी बनाई है, उसमें पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री निर्मल सीतारामण हैं।
  • इसके अलावा मोदी सरकार ने रोजगार और कौशल विकास को लेकर भी एक कैबिनेट कमेटी का गठन किया है।
  • इस कमेटी में पीएम के अलावा, अमित शाह, पीयूष गोयल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महेंद्र पांडे, सन्तोष गंगवार, निर्मला सितरामण, धर्मेंद्र प्रधान,रमेश पोखिरयाल निशंक और हरदीप सिंह पुरी शामिल हैं।

सरकार ने मानी रोजगार संकट की बात

  • श्रम मंत्रालय ने 31 मई को बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए थे।
  • इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
  • साल 1972-73 के बाद ये बेरोजगारी दर सबसे अधिक है मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा कि ये एक नया डिजाइन है।
  • इन आंकड़ों के संबंध में मेथड में बदलाव के कारण इनकी तुलना पिछले आंकड़ों से नहीं की जा सकती हैं।
  • मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार ने ये आंकड़े जारी नहीं किए थे।
  • लेकिन उस समय ये आंकड़े लीक हो गए थे।
  • अब श्रम मंत्रालय ने माना कि साल 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही।

चौथी तिमाही में जीडीपी में गिरावट

  • मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे दिन साल 2018-19 के चौथी तिमाही के आकंड़े भी सामने आए थे।
  • इसमें चौथी तिमाही में जीडीपी 5.8 फीसदी दर्ज हुई।
  • 17 तिमाहियों में इसकी सबसे धीमी गति है और लगभग दो वर्षों में पहली बार जीडीपी चीन से पिछड़ गई है।
  • गौरतलब है कि चौथी तिमाही में विभिन्न क्षेत्र के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और सरकारी खर्च में कटौती की वजह से ग्रोथ को झटका लगने की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी।
  • ये आशंका जताई जा रही है कि वित्तीय वर्ष 2018-2019 में ये गिरकर सात फीसदी से नीचे आएगी।

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