नवरात्रि विशेष: प्रकृति की अद्भुत सौंदर्य के बीच जतमई धाम माता के दर्शन करने पहुंच रहे विभिन्न राज्यों से लोग..

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परमेश्वर कुमार साहू (छुरा)
गरियाबंद 4 अक्टूबर 2019। गरियाबंद मे प्राकृतिक सौंदर्य के बीच घने जंगलों में पहाड़ी पर एक और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। प्रकृति की अनुपम , नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर जिले के आदिवासी ब्लॉक छुरा के गायडबरी कुसुम पानी के बीचों-बीच पहाड़ी पर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता जतमाई का धाम है। गरियाबंद जिले का छुरा ब्लाक वह धरा है जहां प्रकृति की नैसर्गिक अद्भुत सौंदर्य यत्र तत्र बिखरा हुआ है। यह स्थल सज्जित तिमिर श्रृंगार कर रहस्य और रोमांच का अनूठा संसार गढ़ रहा है। घने वन प्रातर, बहेरा, चार, तेंदू, महुआ, साजा, वीजा, आदि घने वनों की हरीतिमा वनांचल छुरा के प्राकृतिक सौंदर्य पर ना केवल चार चांद लगाते हैं वरन छुरा आने वाले पर्यटकों को कौतूहल पूर्ण नजरों से निहारती तथा दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर कर देता है। यह पूर्ण सत्य है कि वनांचल ब्लॉक छुरा प्राकृतिक सौंदर्य से बिखरा हुआ है। यहां भालू चीता, सियार, बंदर, नीलगाय सहित अन्य जंगली जानवरों की उपस्थिति लोगों को रोमांचित कर के रख देता है। प्राकृतिक वर दानों से भरा गोद में क्षेत्र की संस्कृति रची बसी है। जहां क्षेत्र के चारों तरफ पहाड़ियों में प्रसिद्ध जतमई, घटारानी, रमई पाठ, टेगनाही, खोपली पाठ, रानी मां, झराझरा आदि देवी-देवताओं का निवास स्थान है जहां क्षेत्र के जन समुदायों की आस्था एवं विश्वास जुड़ी है इन्हीं में एक धाम जतमई धाम है। जो बीहड़ जंगलों में स्थित है। अब यह स्थल पर्यटन के रूप में अपना अलग से स्थान बना चुका है।


वहां के कल कल करते झरने और पहाड़ियों से घिरी सुरम में वादियां आगंतुको को सहसा ही अपनी और लुभा रही हैं। आलम यह है कि जतमई गढ़ स्थित जतमई धाम की महिमा विदेशों में भी पहुंच गई है।

जतमई धाम में एक करोड़ की लागत से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। यह मंदिर दानदाताओं के सहयोग से बना है तो वही पंचानवे लाख रुपए की लागत से महाकाल मंदिर का भी निर्माण किया गया है। उत्कल शैली में निर्मित या मंदिर दर्शनीय है। दक्षिण मुखी मंदिर में अलंकृत कलाकृतियां रमन्य है। जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा देती है। मंदिर के गर्भगृह में मां जतमई विराजित है जहां पर्वतों की खोह से कल कल करती जलधारा पठार व चट्टानों से टकराती हुई मां जतमई की चरण धोते हुए झरने का रूप धारण कर सैकड़ों फीट गहरे कुंड में गिरते हैं जो पश्चिम क्षेत्र में निर्मित विशाल तौरंगा जलाशय में समाप्त हो जाता है।

जिससे क्षेत्र के हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई इस विशाल जलाशय से होती हैं। जो इस क्षेत्र के लिए माता का अनुपम वरदान है। जिसके चलते क्षेत्रवासी माता को अन्नपूर्णा देवी के रूप में मानते हैं। छत्तीसगढ़ की बोली नमो का उच्चारण अब अपभ्रंश रूप में ज्यादातर देखने को मिलता है। जतमईगढ़ में माता जतमई के नाम से प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ शब्द जतमई का हिंदी शुद्ध रूप जत मई यानी जत मांने जगत से और मैं अर्थात जगत मां जगदंबा है। आदि शक्ति मां जतमई साक्षात ज्योति माई जगदंबा है जो यहां जतमई के नाम से विश्व विख्यात है।

अदृश्य सत्ता ने सात्विकता का भाव जगाया

सन 1995 के पहले बीहड़ जंगल जहां रास्ते भी नहीं थे एक पुजारी वहां तपस्या करता था उसी समय वहां आसपास से लोगों का आना-जाना शुरू हुआ। एक रोज तौरेगा के सरपंच शिवदयाल ध्रुव माता के दरबार में पहुंचे, माता के दर्शन कर लौटते समय उन्हें आभास हुआ कि मां जतमई के अद्भुत व अदृश्य शक्ति उसके साथ है वह घर पहुंच कर कुछ समय एकांत में बैठे तभी माताजी ने कुछ क्षण के लिए प्रकाश के रूप में उन्हें दर्शन दिए एवं उनके अंदर सात्विकता का भाव जगाते रहे। जिससे उसके मन में बलि प्रथा बंद करवा कर सात्विक पूजा वा ज्योति कलश प्रज्वलित करने का भाव जागृत हुआ। उन्होंने माता जतमई से जो अनुभूति प्राप्त किया था उसे अंचल के बुजुर्गों को बताया। तब माता जतमई की प्रेरणा से सभी ने अपना विचार कर यज्ञ मूर्ति श्री श्री 1008 संत सिया श्री भुवनेश्वरी शरणम व्यास जी महाराज व पूज्य महात्मा श्री नारायण भगत के सानिध्य में सन 1997 में पहली बार ज्योति प्रज्वलित किए एवं ब्राह्मणों के माध्यम से सारे कार्य संपादन किए ।तब से यहां बलि प्रथा बंद कर सात्विक पूजा चली आ रही हैं।

कुंवार नवरात्रि के चलते माता के दरबार में दर्शन करने भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। दूर-दूर से हजारों की तादाद में श्रद्धालु यहां रोज पहुंच रहे हैं। माता जतमई का दरबार राजधानी रायपुर से 80 किलोमीटर, जिला मुख्यालय गरियाबंद से 45 किलोमीटर, धमतरी से 70 किलोमीटर, महासमुंद से 50 किलोमीटर की दूरी पर गरियाबंद के वनांचल ब्लॉक छुरा के ग्राम गाय डबरी व कुसुम पानी के मध्य में स्थित है। वही घटारानी धाम से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है।

यहां पहुंचने सावधानीपूर्वक चलाये है वाहन

आपको बता दें कि माता जतमई जाने का मार्ग अंधे मोड़ व ब्रेकरो से भरा हुआ है। यहां पहुंचने वाहन धीमी गति से चलाएं। शराब पीकर वाहन बिल्कुल ना चलाएं अन्यथा आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।