भक्ति ज्ञान वैराग्य और त्याग की प्राप्ति है श्रीमद् भागवत कथा : इंद्रेश जी

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1 सितंबर 2019 भिलाई | श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए तथा श्रावक श्री इंद्रेश जी महाराज ने कहा कि भागवत का अर्थ भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग है, श्रवण कर्ता यदि कथा के पश्चात इन चार बातों को अपने जीवन में नहीं उतारता है तो उसका महत्व कुछ नहीं रहता। इंद्रेश महाराज जी ने कहा की कथा व्यक्ति अपने स्वयं के लिए ही श्रवण करता है किसी और के लिए और जब तक यह भाव उस व्यक्ति में नहीं होता कथा का लाभ नहीं मिलता। इंद्रेश महाराज ने भक्ति को उत्कंठा ज्ञान को इच्छा शक्ति वैराग्य को वस्तु के महत्व को छोड़कर और त्याग को कुत्संगता को त्याग कर प्राप्त किया जा सकता है।


-अग्रसेन भवन न्यू खुर्सीपार में श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का पहला दिन
-बड़ी संख्या में कथा श्रवण करने महिला पुरुष पहुंचे
-पहले दिन श्रीमद् भागवत कथा का महत्व कथा वाचक श्री इंद्रेश जी महाराज ने बताया
-राधा कृष्ण मंदिर से निकली कलश यात्रा

भगवान से डरे नहीं प्रेम करें :

इंद्रेश महाराज ने कहा कि लोग भगवान से डर कर उसकी भक्ति पूजा करते हैं जबकि भगवान से डरने की बजाय उनसे प्रेम करें उनसे ऐसे संबंध बनाएं जिसकी जरूरत आपको अपने जीवन में है। उन्होंने कहा कि भगवान के तीन रूप एवं अनेक स्वरुप होते हैं तीन रूपों में सत्य, चैतन्य और आनंद भगवान के रूप है इसी तरह मनुष्य के भी यही तीन रूप है। व्यक्ति जब मंदिर जाता है तो ईश्वर की प्रतिमा को देखकर कान पकड़ लेता है क्योंकि वह जान लेता है कि ईश्वर सब जानते हैं उनका कहना है कि घर की हो या मंदिर की प्रतिमा को सिर्फ मूर्ति ना समझें क्योंकि भगवान चैतन्य रूप में ही रहते हैं उन्हें चेतन रूप में ही देखना और पूजना चाहिए।

भगवान के तीसरे रूप आनन्द की व्याख्या करते हुए इंद्रेश महाराज ने कहा कि सुख और आनंद में बहुत अंतर है जबकि जरूरत से ज्यादा सुखी दुख का कारण बनता है व्यवस्था में सुख की प्राप्ति होती है जबकि अवस्था व्यवस्था में यदि प्रसन्नता मिलती है वही सच्चा आनंद है। कलयुग में भगवान की प्राप्ति मनुष्य अपने अंदर के भय को निकालकर प्राप्त कर सकता है मनीष को सबसे अधिक में अपनी मृत्यु से है और इसी भय को मनुष्य मन से निकाल ले तो उसे ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है इंद्रेश महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण ही वास्तव में व्यक्ति को मृत्यु के भय से मुक्त दिलाता है उनका कहना है कि व्यक्ति के मन में यदि कोई प्रश्न है तो निश्चित तौर पर उसे भागवत कथा में प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा।

श्रीमद् भागवत कथा के महत्व की शुरुआत हनुमान चालीसा से की गई इसके पहले महिलाओं महिलाओं ने राधा कृष्ण मंदिर से कलश यात्रा निकाली जो कथा स्थल तक में जाकर समाप्त हुई। भागवत कथा के आयोजक शंकर लाल बंसल और अशोक बंसल ने सपत्नीक आरती वंदन किया। भागवत कथा में बड़ी संख्या में महिला और पुरुष कथा श्रवण करने पहुंचे थे कथा 7 सितंबर तक 2:30 से 6:30 बजे तक चलेगी।