विशेष: मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से बच्चे तेजी से सुपोषण की ओर बढ़ रहे है.. इस खबर से जाने कैसे सुधर रही हैं कुपोषित बच्चों की सेहत

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दुर्ग@संजय साहू (अंडा)। बच्चो को कुपोषण की भयावह दुष्परिणाम से बचाने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कुपोषण को शून्य में लाने व महिलाओ में एनीमिया को दूर करने के लिए  मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान दुर्ग जिला में चलाया जा रहा है। कुपोषण मुक्त दुर्ग जिला बनाने के लिए कलेक्टर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, ग्रामीण जन, जनप्रतिनिधि सभी सतत प्रयासरत है।

बाल विकास परियोजना अधिकारी अजय कुमार साहू ने बताया कि परियोजना अंतर्गत 5 कुपोषित बच्चे को जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन द्वारा गोद लिया गया है। जिसमे से 2 बच्चे सामान्य, परियोजना अधिकारी द्वारा 50 बच्चे गोद लिए गए जिसमे से 9 बच्चे सामान्य श्रेणी, पर्यवेक्षक द्वारा 160 बच्चो को गोद लिया गया। जिसमें से 22 बच्चे सामान्य में ,कार्यकर्ता सहायिका ने 579 को गोद लिया गया। जिसमें से 108 सामान्य में आ चुके है इसी प्रकार समूह और जनप्रतिनिधियों  को कुल 606 बच्चो का गोद दिलवाया गया है जिसमे 94 बच्चे सामान्य में आ चुके है। कलेक्टर अंकित आनंद के मार्गदर्शन में प्रतिदिन पर्यवेक्षक, परियोजना अधिकारी द्वारा गर्म भोजन का निरीक्षण, गृह भेट और पालक बैठक का आयोजन किया जा रहा है।

जिससे बच्चे सुपोषण की ओर धीरे धीरे बढ़ रहे है जो इन केंद्रों से स्पष्ट होता है।

1. गनियारी आंगनबाड़ी केंद्र-1 की बालिका लावण्या का सितम्बर माह में उम्र 20 माह, वजन 7.9 किलोग्राम था, मध्यम कुपोषित बालिका को सामान्य में आने के लिए 500 ग्राम की कमी थी, जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा गोद लिया गया है। कार्यकर्ता मिथलेश देवदास ने इस बालिका के घर तीन टाइम गृहभेट किया सुबह 7 बजे, दोपहर 3 बजे, शाम 6 बजे। प्रारंभ में सुबह माँ के सामने रेडी टू ईट को गरम पानी में घोलकर एक चम्मच तेल मिलाकर बच्चे को खिलाया, इस तरह मां को रोज आदत बनाई,फिर अंकुरित अनाज खिलाने हेतु आदत बनाई। सुपोषण अभियान अंतर्गत रोज केंद्र बुलाती, जहाँ गर्म भोजन, चिक्की, और फल खिलाती, इस तरह नियमित देखभाल और निगरानी से बालिका का वजन दिसम्बर माह में 9.2किलोग्राम हो गया, अभी सामान्य में है ।

2.  पीपरछेड़ी के आंगनबाड़ी केंद्र का बालक तेजराज पिता कुंजराम की सितम्बर माह में उम्र 25 माह, वजन 9.6 किलोग्राम मध्यम श्रेणी में था। माता पिता रोज काम पर चले जाते। दादा दादी घर में देखभाल करते। कार्यकर्ता उत्तम कुंवर रोज सुबह 7 से 8 बजे के बीच गृहभेट मे जाती और रेडी टू ईट को पानी मे घोलकर तेल मिला कर खिलाना सिखाई। बच्चे के दादा और कभी दादी नियमित गर्म भोजन और चिक्की, फल खिलाने आंगनबाड़ी केंद्र लेकर आते। दिसम्बर माह में वजन 10.9 किलोग्राम है जो कि सामान्य श्रेणी में है।

3. रसमड़ा आंगनबाड़ी केंद्र 01 की बालिका पूजा, पिता संतोष श्रीवास्तव, सितम्बर में14 माह की थी, का वजन सामान्य से 600 ग्राम कम था, कार्यकर्ता माधुरी गुप्ता के नियमित गृहभेट से माँ रोज आंगनबाड़ी लाने लगी, रेडी टू ईट को डिब्बे में भरकर रखती रोज खिलाती। पर्यवेक्षक द्वारा ली गई पालक बैठक में दी गई सलाह और देखभाल संबंधी दी गई सलाह का पालन किया गया। स्व सहायता समूह ने गोद लिया है, जो कि समूह के द्वारा, निर्धारित मेनू अनुसार गृहभेट कर पौष्टिक आहार खिलाया जाता रहा। इस तरह सभी के द्वारा नियमित देखभाल से बालिका दिसम्बर माह में सामान्य श्रेणी में आ गई। वजन 8.0 किलोग्राम है।