सुषमा स्वराज का निधन, एम्स प्रंबधक ने की पुष्टि, पीएम मोदी थोड़ी देर में पहुंचेंगे एम्स.. केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, हर्षवर्धन, नितिन गडकरी, JP नड्डा समेत कई बड़े लीडर पहुंचे अस्पताल..

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नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की सीनियर लीडर सुषमा स्वराज का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे अर्से से बीमार चल रही थीं और उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। बीमारी की वजह से ही उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से खुद को अलग रखा था। वर्ष 2014 में सुषमा स्वराज को विदेश मंत्रालय का प्रभार मिला था। बीजेपी के शासन के दौरान सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थी। उन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। उन्होंने अंबाला में एसडी कॉलेज अम्बाला छावनी से बीए किया और पंजाब यूनिवर्सिटी से चंडीगढ़ से लॉ की पढ़ाई की थी। सुषमा स्वराज ने 1974 के छात्र आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। सुषमा स्वराज के निधन की खबर सुनते ही डॉ. हर्षवर्धन, नितिन गडकरी, मनोज तिवारी एम्स पहुंच गए।

निधन से करीब चार घंटे पहले ही सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर संसद में जम्म कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित होने को लेकर खुशी जताई थी और प्रधानमंत्री की तारीफ की थी। सुषमा ने अपने आखिरी ट्वीट में लिखा- ‘प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’ वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को बधाई दी थी। उन्होंने लिखा- श्री अमित शाह जी को उत्कृष्ट भाषण के लिए बहुत बहुत बधाई।

विदेशों में रह रहे भारतीयों को जब कभी भी परेशानी हुई है तब-तब सुषमा स्‍वराज ने मदद का हाथ बढ़ाया है। सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में अम्बाला में हुआ था। राजनीति में आने से पहले सुषमा स्वराज ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता के पद पर भी काम किया. साल 2014 में बीजेपी के सत्‍ता में आने के बाद सुषमा स्‍वराज को विदेशमंत्री का पद सौंपा गया। इस पद को संभालने के बाद से ही जब कभी भी विदेश में रह रहे किसी भारतीय को मदद की जरूरत पड़ी, सुषमा स्‍वराज ने हर मुमकिन कोशिश की। उन्‍होंने कई बार विदेशों में फंसे भारतीयों को सकुशल घर वापसी कराई है।

यमन में जब हाउथी विद्रोहियों और सरकार के बीच जंग छिड़ी तो हजारों भारतीय इस जंग के बीच में फंस गए। जंग लगातार बढ़ती जा रही थी और सऊदी अरब की सेना लगातार यमन में बम गिरा रही थी। इसी बीच यमन में फंसे भारतीयों ने विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज से मदद की गुहार लगाई।

यमन में फंसे भारतीयों के लिए सुषमा स्‍वराज ने ऑपरेशन राहत चलाया और ऑपरेशन के दौरान साढ़े पांच हजार से ज्‍यादा लोगों को बचाया गया। ये ऑपरेश इतना सफल रहा कि भारत ही नहीं यमन में फंसे 41 देशों के नागरिकों को इस ऑपरेशन के जरिए ही सुरक्षित बचाया जा सका. इसमें से 4640 भारतीय थे।

इसी तरह दक्षिण सूडान में छिड़े सिविल वॉर में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वतन वापस लाने के लिए विदेशमंत्री सुषमा स्‍वराज ने ऑपरेशन संकटमोचन की शुरुआत की। इस ऑपरेशन के तहत दक्षिण सूडान में फंसे 150 से ज्‍यादा भारतीयों को बाहर निकाला गया। इसमें 56 लोग केरल के शामिल थे।

लीबिया में सरकार और विद्रोहियों के बीच छिड़ी जंग में भी कई भारतीय वहां फंस गए थे। लीबिया से भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की तैयारी तेज की गई और 29 भारतीयों को सुरक्षित भारत लाया गया. हालांकि इस दौरान एक भारतीय नर्स और उसके बेटे की मौत हो गई।

सुषमा स्‍वराज की कोशिशों के बाद 15 साल पहले भटककर सरहद पार पाकिस्‍तान पहुंच गई 8 साल की मासूम गीता को भारत लाया जा सका। गीता जब भारत लौटी तब उसकी उम्र 23 साल हो चुकी थी. गीता भारत आने के बाद सबसे पहले विदेशमंत्री सुषमा स्‍वराज से मिली।

विदेश मंत्री के तौर पर उन्होंने कई ऐसे काम किए जिनके बाद हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों के लोगों ने सिर झुकाकर उन्हें सलाम किया। मोदी सरकार की तेज तर्रार मंत्रियों में से एक कही जाने वाली सुषमा स्वराज ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।

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