प्रदेश में सत्ता बदली पर नहीं बदला जिला प्रशासन का रवैया, राजनांदगांव और दुर्ग के रेत माफियों की दादागिरी.. चारामा बना रेत माफियों का पसंदीदा अड्डा..

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रायपुर 28 अगस्त, 2019। छत्तीसगढ़ में 15 साल से भाजपा की सरकार होने का बाद अब प्रदेश में सत्ता बदल चुकी है। छत्तीसगढ़ में कांकेर की सरकार बने 8 महिने से ज्यादा हो गए है। बावजूद इसके कांकेर जिला प्रशासन का रवैया नहीं बदला है। जिले में महानदी पर बने कई घाटों में रात के अंधेरे में रेत का अवैध खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है। राजनांदगांव और दुर्ग के खनन माफिया रात में कांकेर में डाका डाल रहे हैं। बिना रायल्टी रसीद अवैध रुप से हर रोज सैकड़ों हाइवा रेत चोरी हो रही है। चारामा नाका पर पुलिस बल और वनोपज के कर्मचारी तैनात होने के बाद भी धड़ल्ले से हाइवा पार हो रहे हैं, जो चारामा पुलिस प्रभारियों और जिला खनिज अधिकारी सनत साहू पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। इन रेत माफियाओं का सबसे पसंदीदा इलाका चारामा है। जहां प्रशासन दिखाने के लिए थोड़ा बहुत एक्शन तो ले रही है। लेकिन इस पर लगाम नहीं लगा पा रही है।

जिला खनिज अधिकारी को नहीं हैं किसी का डर

कांकेर जिले में अवैध रेत खनन का जानकारी बच्चे बच्चे को है। ऐसे में बीते दिनों रात 12 बजे चारामा एसडीएम सुरेंद्र बैध को रेत चोरी की सूचना मिली। तो उन्होंने पुलिस पार्टी समेत अन्य अफसरों के साथ मौके के लिए निकले। इससे पहले उन्होंने जिला खनिज अधिकारी सनत साहू को कई बार फोन किया गया। लेकिन साहब तो गहरी नींद में सो रहे थे। जिसके बाद बरसते पानी में भी चारामा एसडीएम मौके पर पहुंचे और वाहनों की जब्ती की कार्रवाई की। चारामा विकासखंड के ग्राम बासनवाही महानदी से रात के समय अवैध रेत परिवहन कर रहे सात हाइवा वाहनों को एसडीएम ने पकड़कर कार्रवाई की। वहीं आधा दर्जन से अधिक गांवों में अभी भी अवैध रेत परिवहन जारी है। जिन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

बता दें सहायक खनिज अधिकारी सनत साहू को जिला खनिज अधिकारी का प्रभार दिया गया है। बताया जाता है कि सनत साहू इससे पहले बालोद जिले के प्रभारी थे। यहां उन पर सबसे ज्यादा रेत अवैध उत्खनन कराने का आरोप है। जानकारी के मुताबिक इनके बालोद जिले के कार्यकाल के दौरान शासन को लाखों के राजस्व का नुकसान हुआ है। जानकारी है कि सनत साहू का ट्रांसफर धमतरी हो गया। अब यहां भी दबी आवाज में उनका जमकर विरोध हो रहा है।

रेत माफियों की दादागिरी..

रेत माफिया महानदी के कई घाटों से अंधेरे में अवैध रेत खनन कर शासन को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे है। जिला प्रशासन यहां कार्रवाई तो कर रहा है। लेकिन उसकी भी हदे पार है। ऐसा ही एक मामला 15 दिन पहले हुआ। जब कलेक्टर के निर्देश पर तहसीलदार और पुलिस ने नारा गांव में कार्रवाई की।  जिसमें 14 हाइवा जब्त भी किये। लेकिन धरपकड़ के पांच घंटे बाद ही रात में माफियों पकड़ी हुई गाड़ियों में रेत भरकर फरार हो गए। इधर चारामा में भी अवैध रेत उत्खनन करते 7 हाइवा जब्त की गई। लेकिन 24 घंटे बाद उन्ही गांड़ियों में चारामा के कुछ खदानों से रेत निकालते रहे। आधा दर्जन से अधिक गांवों में अभी भी अवैध रेत परिवहन जारी है। जिन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

प्रदेश में बदली सत्ता, नहीं बदला प्रशासन का रवैया

प्रदेश में सत्ता बदली पर जनप्रतिधियों व प्रशासन का रवैया नहीं बदला। रेत माफिया महानदी के कई घाटों से अंधेरे में अवैध रेत खनन कर शासन को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे है। विकासखंड के ग्राम माहुद, भिरौद, चारामा, नवागांव, खरथा, गिरहोला, तारसगांव सहित अन्य घाटों से बिना शासन के परमिशन के बिना पीटपास के और चैन माउटेन मशीन से रेत का उत्खनन कर रहे हैं और अंधेरे का फायदा उठाकर विकासखंड के बाहर अन्य जिलों में हजारों हाइवा रेत की तस्करी किया जा रहा है।

गाड़ियों का पीट पास की नहीं हो रही जांच

सत्ता परिवर्तन के बाद से अवैध उत्खनन का कारोबार और तेजी बढ़ गया है। विभागीय अधिकारी कर्मचारी चैन की नींद लेने में लगे है। अवैध उत्खनन की जानकारी होने के बाद भी राजस्व विभाग, पुलिस विभाग रेत से भरी इन गाड़ियों का पीट पास जांच नहीं कर रही है। नगर में चर्चा का माहौल है कि विभाग कही रेत माफियाओं के साथ मिली तो नहीं है। या अधिकारी किसी जनप्रतिनिधियों के दवाब में कार्रवाई नहीं कर रहे। लेकिन दोनों ही सूरत में नुकसान राजस्व व छग की जनता का हो रहा है।

जिन घाटों में खदान की नहीं हुई घोषणा, वहां सबसे ज्यादा रेत की हो रही चोरी

जिन घाटों को अब तक खदान भी घोषित नहीं किया गया है, उन खदानों से भी बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन रातों रात किया जा रहा है। आम जनता के द्वारा प्रशासन तक खनन की शिकायत के बाद भी प्रशासन की ओर से इन माफियाओं के ऊपर कार्रवाई से बचा जा रहा है। वहीं किसी किसी खदान के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में तना तनी भी देखी जा रही है। ग्राम सरपंच व कुछ ग्रामीणों द्वारा प्रशासन के सहयोग से अपने निजी स्वार्स्थ के लिए अवैध खनन का कार्य कराया जा रहा है। जिससे राजस्व को तो नुकसान हो रहा है। साथ ही बड़ी वाहन चलने से सड़क कंडम हो गया है।