VIDEO: जो बच्चा बैठ नहीं पाता था डॉक्टरों की कोशिश ने अपने पैर पर खड़ा होने का दिया सहारा… छत्तीसगढ़ सरकार की मदद से मां के चेहरे पर आई मुस्कान…

0
600

रायपुर 22 जून, 2020। कहते हैं मां के लिए बेटे की खुशी और उसकी तरक्की ही पूरी दुनिया होती है। और जब बेटे को अपने पैरों पर खड़ा होता देखे तो मां की सारी इच्छाएं ही पूरी हो जाती हैं। ऐसे ही एक मामला छत्तीसगढ़ के गुढ़ियारी गांव का है। जहां ईश्वर और ममता अपने 8 साल के बेटे गौरीशंकर की सेहत को लेकर काफी चिंतित थे। कुपोषण से उन्हें अपने बेटे को बैठते, क्रॉल करते और चलते हुए ना देख पाने से काफी परेशान रहते थे। लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग की मदद से 8 साल के बच्चे गौरी शंकर के माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान आई है।

दरसअल मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन गंभीर रूप से कुपोषित नौनिहालों की सेहत में तेजी से सुधार का जरिया बन रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्रों में डॉक्टरों की बेहतर देखभाल और पोषक आहार से वे न केवल सुपोषित हो रहे हैं, बल्कि उनका शारीरिक-मानसिक विकास भी अच्छे से हो रहा है। दुर्ग जिले के विकासखंड मुख्यालय पाटन स्थित एन.आर.सी. ने भी एक माता-पिता के अरमानों को पंख दे दिए हैं।

गौरीशंकर आठ महीने के बच्चे की तरह न तो बैठ पाता था और न ही क्रॉल कर पाता था। जैसे-जैसे वह बड़ा हो रहा था मां-बाप की चिंता भी बढ़ रही थी क्योंकि वह काफी सुस्त रहने लगा था। ऐसे में मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन ने उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई। गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नजर गौरीशंकर पर पड़ी तो वह उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर गई। डॉक्टरों ने जांच के दौरान पाया कि उसका वजन काफी कम है और वह गंभीर रूप से कुपोषित है। डॉक्टरों ने तुरंत पोषण पुनर्वास केंद्र पाटन में भर्ती करने की सलाह दी।

पाटन के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा बताते हैं कि गौरीशंकर 4 जून को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती हुआ। उसे बेहतर पोषण की ज़रूरत तो थी, पर साथ ही एक और गंभीर समस्या थी। वह बैठ नहीं पाता था, पलट भी नहीं पाता था। इसलिए उसके लिए एक विशेष दिनचर्या तैयार की गई जिसमें पोषण आहार के साथ फिजियोथेरेपी और व्यायाम भी शामिल था। एन.आर.सी. की पूरी टीम ने इसे एक मिशन के रूप में लिया। फिजियोथेरिपिस्ट डॉ. लीना चुरेन्द्र की फिजियोथेरिपी और व्यायाम से गौरीशंकर को काफी मदद मिली। केंद्र के स्टॉफ ने उसके पोषण और मेडिकेशन का पूरा ख्याल रखा।

डॉ. शर्मा आगे बताते हैं कि 4 जून को जब गौरीशंकर को लाया गया तब उसका वजन 4.65 किलोग्राम था। लगातार देखभाल से उसका वजन बढ़ने लगा और 21 जून को जब उसका वज़न किया गया तो वह 5.800 किलोग्राम का हो गया था। जो बच्चा बैठ नहीं पाता था वह आज बैठने लगा और सहारा देने पर खड़ा भी होने लगा। कुपोषण का स्तर भी कम हुआ है। अब वह गंभीर कुपोषित से मध्यम कुपोषित में आ गया है। हम उसे सामान्य की श्रेणी में लाने की कोशिश कर रहे हैं। डिस्चार्ज होने के बाद भी उसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाएगी।

बेटे को स्वस्थ होता देख माँ को भी मिली राहत

गौरीशंकर की माँ ममता बताती है कि आज अपने बच्चे को स्वस्थ देखकर बहुत खुशी होती है। जब वो बैठ नहीं पाता था तो उसके पिता और मैं दिन-रात उसकी ही चिंता में लगे रहते थे। हमारी आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी कि इलाज करा पाते। लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में सारा इंतज़ाम निःशुल्क हो गया। ममता ने बताया कि यहाँ पूरी टीम ने उसके बच्चे की अच्छी तरह देखभाल की। यहां माँ और बच्चे दोनों के रहने की व्यवस्था है। केंद्र में तीन बार के भोजन और स्वस्थ दिनचर्या के बारे में बताया जाता है। डिस्चार्ज होने के बाद घर में क्या सावधानी रखनी है, खान-पान कैसा होना चाहिए यह भी बताया जाता है। ममता पोषण पुनर्वास केंद्र के डॉक्टरों और स्टॉफ का आभार व्यक्त करते हुए कहती है कि मुख्यमंत्री सुपोषण मिशन से उनके बेटे को नया जीवन मिला है।