सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़ में मारे गए ग्रामीणों को न्याय दिलाने धरने पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासियों का धरना स्थगित.. सरकार को दिया 1 महीने का अल्टीमेटम.. ये है मांगे..

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बीजापुर। सारकेगुड़ा में साल 2012 में नक्सलियों के नाम पर सुरक्षा बलों द्वारा निर्दोष ग्रामीणों को मारे जाने की घटना को लेकर आदिवासी व सामाजिक संगठन लामबंद हो गए हैं। नरसंहार में मारे गए ग्रामीणों को न्याय और दोषी सुरक्षा कर्मियों को सजा दिए जाने की मांग को लेकर शुक्रवार को बासागुड़ा थाने के सामने धरने पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण आदिवासियों ने धरना स्थगित कर दिया है।
मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने जल्द ही FIR दर्ज करवाने का आश्वासन दिया है। विनोद वर्मा के आश्वासन के बाद सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार और सोनी सोढ़ी ने धरना स्थगित किया है।

1 महीने का दिया अल्टीमेटम

सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी ग्रामीणों ने कहा कि 1 महीने के अंदर नहीं होगी FIR दर्ज तो फिर बड़ा आंदोलन करेंगे।

सारकेगुड़ा गोलीकांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर FIR दर्ज करने बासागुड़ा थाने पहुंचे थे। पुलिस द्वारा FIR दर्ज नहीं किये जाने से आक्रोशित पीड़ित और सामाजिक कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए थे।

इसी के साथ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों की टीम भी सारकेगुड़ा पहुंच गई है। गुरुवार देर शाम वकीलों ने सारकेगुड़ा के पीड़ितों से चर्चा की थी और उन्हें थाने में एफआइआर कराने के लिए तैयार किया था। इसके बाद शुक्रवार की सुबह ग्रामीण एकजुट होकर बासागुड़ा थाने पहुंचे, लेकिन यहां एफआईआर दर्ज न होने पर ग्रामीण सत्याग्रह पर बैठ गए।

विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करने के लिए दिया था आवेदन

दिल्ली से पहुंचे मानवाधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने कहा कि इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, आइजी इंटेलिजेंस मुकेश गुप्ता, सीआरपीएफ व पुलिस के अफसरों समेत वारदात में शामिल जवानों के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने और फर्जी आरोप गढ़ने की विभिन्न् धाराओं में केस दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे एसडीओपी विनोद मिंज ने लेने से इंकार कर दिया। आवेदन पढ़ने के बाद एसडीओपी विनोद मिंज ने कहा 2012 में हुई वह घटना दुखद है।