जिंदल सीमेंट प्लांट के विरोध में आये ग्रामीण, अपने सात सूत्रीय मांगो को लेकर बैठे हड़ताल पर..

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10 अगस्त 2019, रायगढ़। जिला मुख्यालय से करीब दस किमी दूर ग्राम कोसमपाली में स्थित जिंदल सीमेंट उद्योग प्रबन्धन के मुख्य गेट पर शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे सैकड़ो की संख्या में ग्रामीणों के जमा हो जाने से तब अप्रिय स्थिति निर्मित हो गई। जब अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर नाराज ग्रामीणो ने प्रबन्धन के विरुद्ध आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा कर दी और मुख्य मार्ग पर धरना देकर बैठ गए।।

यहां नाराज ग्रामिणों के द्वारा कड़े विरोध और आर्थिक नाकेबंदी को रोकने आये जिंदल प्रबन्धन के कुछ अधिकारियों के द्वारा आंदोलनकारी ग्रामीणों से बदतमीजी किये जाने पर अप्रिय स्थिति निर्मित हो गई। जिसे संभालने के लिए पुलिस को दल-बल सहित घटना स्थल पर आना पड़ा। इधर ग्रामीणों ने मीडिया कर्मियों को घटना की सूचना दी, कुछ ही देर में जिंदल सीमेंट प्लांट के जिम्मेदार अधिकारियों ने बड़ी संख्या के निजी सुरक्षाकर्मियों को मौके पर बुला लिया। जिससे स्थिति और भी तनाव पूर्ण हो गई। हालांकि मीडिया कर्मियों के पहुंचने से पहले प्रबंधन के लोग गायब हो गए। जबकि रायगढ़ पुलिस उद्योग की सुरक्षा मे लगी रही।

इधर नाराज ग्रामीणों ने बताया कि जिंदल उद्योग प्रबंधन की तानाशाही की वजह से उनका जीवन नरकमय हो गया है। कई बार लिखित और मौखिक ज्ञापन दिए जाने के बाद प्रबंधन ने उनकी मांगों पर ध्यान नही दिया। अंततः मजबूर हो कर आज हमें आर्थिक नाकेबंदी का निर्णय लेना पड़ा। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नही होगी जिंदल सीमेंट प्लांट की नाकेबंदी जारी रहेगी। नाकेबंदी के कारण आमदिनों में काफी चहल-पहल रहने वाले इस उद्योग क्षेत्र में बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ था। उद्योग के मुख्य गेट से लगने वाली प्रधानमंत्री सड़क में दोपहर बाद कोई वाहन नही चला, न ही कोई उद्योग कर्मी प्लांट आ पाया। इधर ग्रामीणों ने बताया कि उनकी सात प्रमुख मांगो के विषय मे बताया कि उद्योग स्थापना के बाद से ही प्रबंधन उनसे सौतेला व्यवहार करते आ रहा है। सीमेंट प्लांट की स्थापना के बाद से ही उनके सहित आसपास के 6 गांवों में भयंकर प्रदूषण फैलने लगा है। उद्योग के राखड़ डेम की वजह पहले भी गांव वालों को भारी समस्या का सामना करना पड़ा है। आज ये हालत है कि राखड़ डेम से उड़कर गांवों के घरों में घुसने लगा है। लोंगो को न केवल सांस लेने में बल्कि सामान्य दैनिक कार्यों में भी बड़ी परेशानियां हो रही है। यही नही उद्योग प्रबंधन ने अपने आश्रित ग्रामो को लेकर भी बड़ी लापरवाही बरत रहा है। आंदोलनकारी ग्रामीणों ने बताया कि हमारी आस्था के केंद्र गांव के देवलास (देवस्थल) में उद्योग गंदगी फैला रहा है। इधर गांव तक आने वाली प्रधानमंत्री सड़क पर प्रबंधन के द्वारा लगातार भारी वाहन चलाए जाने से सड़क बीते कई महीनों से खस्ताहाल हो चुकी है। जिसके निर्माण की तरफ प्रबन्धन कोई ध्यान नही दे रहा है।

वही स्थानीय युवाओ को रोजगार देने में भी प्रबंधन ने बेईमानी की है। इन सभी मांगों को लेकर ग्रामीण पिछले एक वर्ष से प्रबन्धन और जिला प्रशासन को कई बार सूचना दिया परन्तु झूठे आश्वाशनों के अलावा कुछ नही प्राप्त हुआ। आखिरकार निराश और नाराज ग्रामीणों में जिंदल सीमेंट प्लांट की आर्थिक नाकेबंदी का फैसला लिया।

इधर जिंदल गेट के पास नारे बाजी लर रहे ग्रामीणों की मांग थी कि जिंदल प्रबन्धन से मीडियाकर्मी मुखातिब होकर उनसे पूछताछ कि तो उन्होंने ग्रामीणों की मांग को लेकर क्या तय किया है? परन्तु उद्योग के मुख्य गेट पर मीडियाकर्मियों को निजी सुरक्षा कर्मियों ने रोक लिया और प्रबंधक हेमंत वर्मा से बात कराई उन्होंने मीडिया को कुछ भी बताने से साफ-साफ इंकार कर दिया। इधर घटना की जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन की तरफ से तहसीलदार रायगढ़ मौके पर आए। उन्होंने ग्रामीणों की मांग जानी और उसे जायज पाये जाने के बाद उद्योग प्रबंधन को फटकार लगाते हुए आवश्यक रूप से कल उनकी मध्यस्थता में विवाद का सुखद पटाक्षेप का निर्देश दिया। इधर ढीठ और गैर जिमेम्दार उद्योग प्रबन्धन के खिलाफ ग्रामीण विरोध रोकने को तब तक तैयार नही दिखे जब तक प्रबन्धन लिखित में उनकी सभी मांगो को मनाते हुए समय सीमा निर्धारित न कर दे।

समाचार संकलन के दौरान मीडिया कर्मियों ने पाया कि वास्तव में जिंदल उद्योग प्रबन्धन के द्वारा क्षेत्र में जबर्दस्त प्रदूषण फैलाया जा रहा है। उंनके द्वारा पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्देषित e.s.p. का उपयोग प्लांट के अंदर नही किया जा रहा है। जिससे उद्योग की चिमनियों से गहरे काले रंगे के धुएं उठ कर वायुमंडल को बुरी तरह से दूषित कर रहे थे। चुकी समाचार संकलन के दौरान हल्की बूंदाबांदी हो रही थी,जिससे चिमनियों से निकलने वाले काले विषैले तत्व पानी की बूंदों के सांथ आसपास में गिर रहे थे।

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