रायपुर 22 जून, 2019। राज्य में बिजली व्यवस्था करने के मामले में छत्तीसगढ़ देश के टॉप-5 पर शामिल हो गया है। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट में देश के सभी राज्यों की बिजली व्यवस्था का मूल्यांकन किया गया है। जिसमें राज्यों को उत्कृष्ट कार्यों के लिए रेटिंग भी दिया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी सेफी (सिस्टम एवरेज इंटरप्शन फ्रिक्वेंसी इंडेक्स) के रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य के डिवीजनों के फीडरों का भी मूल्यांकन किया गया। इसके अनुसार छत्तीसगढ़ के फीडरों को टॉप थ्री में स्थान दिया गया है। इस बात की जानकारी पॉवर कम्पनी के अध्यक्ष शैलेन्द्र शुक्ला ने दी।
अध्यक्ष शैलेन्द्र शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनीज ने विद्युत अधोसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिये अत्याधुनिक टेक्नालाजी का उपयोग किया जा रहा है, फलस्वरूप शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति हो रही है। प्रदेश में स्थापित विद्युत प्रणालियों में आने वाली खराबी तथा इससे उत्पन्न विद्युत व्यधान को न्यूनतम समय में पूरा करने में कामयाबी मिली है।
अध्यक्ष शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि देश भर के विभिन्न राज्यों के ग्रामीण फीडरों में बिजली की उपलब्धता 9 प्रतिशत, 14 प्रतिशत, 17 प्रतिशत और 22 प्रतिशत रही। इसकी तुलना में छत्तीसगढ़ राज्य में औसतन प्रतिदिन 22 घण्टे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गई।
ग्रामीण अंचलों में बिजली की आवश्यकता कृषि कार्यों में सर्वाधिक होता है। कृषि पम्पों के लिए पृथक किए गए ग्रिड में निश्चित समय के लिए बिजली बंद की जाती है अन्यथा ऐसे फीडर, जिनमें कृषि पम्पों के साथ अन्य कनेक्शन भी हैं, उनमें निरन्तर विद्युत प्रवाह सुनिश्चित किया जाता है।
केवल आंधी-तूफान व भारी वर्षा के समय ब्रेकडाउन अथवा मरम्मत कार्यों के लिए शटडाउन लेने पर बिजली सप्लाई प्रवाहित होती है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि कम से कम समय में बिजली सप्लाई पुनः चालू कर ली जाए।
प्रदेशभर में ग्रामीण अंचलों व आदिवासी क्षेत्रों में बिजली की सतत् आपूर्ति के लिए कंपनी प्रबंधन निरन्तर प्रयासरत है। राज्य शासन की रीति-नीति के अनुरूप सभी योजनाओं का लाभ उपभोक्ताओं को प्राप्त हो रहा है।
ट्रांसमीशन नेटवर्क विस्तार में बना नया कीर्तिमान
- प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति हेतु पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने का कार्य पॉवर ट्रांसमिशन कम्पनी द्वारा युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
- इस दिशा में नये सबस्टेशनों की स्थापना, लाईनों का विस्तार, ट्रांसफार्मरों का ऊर्जीकरण एवं पारेषण क्षमता में वृद्धि जैसे अनेक कार्य किये जा रहे हैं।
- विदित हो कि बस्तर में सतत् बिजली सप्लाई के लिए वर्तमान में 400 केव्ही का एक सबस्टेशन क्रियाशील है। 33/11 के.व्ही. एवं 11/04 के.व्ही. के सैंक़ड़ों उपकेन्द्रों के माध्यम से बस्तर क्षेत्र में निरन्तर बिजली सप्लाई की जा रही है।
- नई सरकार के गठन उपरान्त धरसीवां कुथरेल में 220 के.व्ही. सबस्टेशन में 160 एमव्हीए का नया ट्रांसफार्मर स्थापित किया गया है। पारेषण क्षमता अब बढ़कर 7 हजार एमव्हीए हो गई है, जिसमें से 10 प्रतिशत वृद्धि इस 6 माह की है।
- औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने हेतु रायपुर के समीप उरला में सेक्टर-ए के लिए 40 एमव्हीए का तथा सेक्टर सी के लिए 40 एमव्हीए का नया ट्रांसफार्मर लगाया गया। इससे पारेषण क्षमता में वृद्धि के साथ ही पूर्व से लम्बित आवेदनों का निराकरण किया गया एवं उपभोक्ताओं को नये कनेक्शन तीव्रता से प्रदान किये गये हैं।
पॉवर कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जून, 2019 में ही 220 के.व्ही उपकेन्द्र भिलाई स्थित सबस्टेशन में 160 एमव्हीए का नया ट्रांसफार्मर ऊर्जीकृत किया गया, जिससे अब इस पारेषण सबस्टेशन की कुल क्षमता 695 एमव्हीए हो गई है और इस क्षेत्र में निरन्तर बिजली सप्लाई के लिए पर्याप्त है। इस ट्रांसफार्मर के लगने से 220 के.व्ही. उपकेन्द्र की क्षमता में वृद्धि हुई है और संबंधित क्षेत्र के रहवासियों को ओवर लोडिंग जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।
- प्रदेश में अप्रैल माह के आंकड़ों के अनुसार पारेषण प्रणाली की सुदृढ़ीकरण हेतु प्रयास किये गये है।
- जिससे पॉवर कंपनी के अति उच्चदाब उपकेन्द्रों की संख्या 118 नग हो चुकी है तथा अति उच्चदाब लाईनों की लंबाई 12300 सर्किट किलोमीटर तक पहुंच चुकी है।
- इसी प्रकार 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों की संख्या 1248 नग हो चुकी है एवं 33 केव्ही लाईनों की लंबाई 22088 किलोमीटर तक विस्तार कर लिया गया है।
- 11/04 उपकेन्द्रों की संख्या भी बढ़कर डेढ़ लाख से अधिक हो गई है।
- 11 के.व्ही. लाईनों की लंबाई 1 लाख 12 हजार तक पहुंच चुकी है।
- इसी के साथ-साथ निम्नदाब लाइनों की लंबाई में एक लाख 90 हजार तक वृद्धि हुई है।