नेशनल। पूरे भारत में कोरोना का कोहराम जारी है। देश के सभी राज्यों में कोरोना की वजह से स्थिति काफी गंभीर नजर आ रही है। कहीं ऑक्सीजन की कमी है तो कहीं मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड खाली नहीं है। यहां तक की श्मशान घाटों में भी लम्बी कतार में लोग खड़े रह रहे हैं ताकि अपनी बारी आने पर अपने परिजन का अंतिम संस्कार करा सके।
हर दिन टूट रहे हैं कोरोना मरीजों के आंकडें
हर दिन नए कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। बढ़ते आंकड़ों को देख देश की स्वास्थ्य सेवाओं की सांस फूलने लगी है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिछले साल से भी इस साल की स्थिति ज्यादा खराब दिखाई दे रही है।
ज्यादातर राज्यों ने ये मान लिया था कि खत्म हो गया कोरोना
दरअसल देश के ज्यादातर राज्यों ने ये मान लिया था कि कोरोना का संक्रमण अब खत्म हो गया है। कोरोना के मरीज न होने के कारण राज्य सरकारों ने जो कोविड सेंटर पिछली बार तैयार किए थे उसे बंद कर दिया। बताते हैं कि ज्यादातर राज्यों में जनवरी के महीने में ही कोविड सेंटर बंद कर दिए गए थे और वहां लगे वेंटिलेटर और मशीनों को पैक कर दिया गया। हालात ये हुए कि दूसरी लहर ने जब अपना असर दिखाना शुरू किया तो देश की स्थिति उसी तरह से दिखाई दे रही है जैसा कोरोना की पहली लहर के दौरान दिखाई दे रही थी।
इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कोरोना की दूसरी लहर आने से पहले ही बंद कर दिए थे कोविड अस्पताल
• दिल्ली – राजधानी दिल्ली में चार अस्थायी अस्पताल, जो पिछले साल तैयार किए गए थे, फरवरी में बंद कर दिए गए थे। इसका सबसे बड़ा कारण ये था कि उस वक्त दिल्ली में हर दिन 200 से भी कम नए मामले सामने आ रहे थे। कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए इसे फिर से शुरू किया जा रहा है।
• उत्तर प्रदेश
पहली लहर के दौरान, उत्तर प्रदेश ने लगभग 1।5 लाख बेड के साथ 503 कोविद अस्पताल तैयार करने का दावा किया था। हालांकि फरवरी के पहले सप्ताह तक यहां पर 83 अस्पताल ही बचे और बिस्तरों की संख्या घटकर मात्र 17,000 ही रह गई। ये वो अस्पताल थे जहां पर कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता था।
• कर्नाटक
कोरोना की पहली लहर के दौरान दूसरे सबसे प्रभावित राज्य में शामिल कर्नाटक ने पिछले साल से कोई सबक नहीं सीखा। पिछले साल से अब तक कर्नाटक सरकार ने मात्र 18 आईसीयू बेड बढ़ाए हैं।
• पुणे
पुणे में 800 बिस्तरों वाले जंबो अस्पताल को जनवरी में कोरोना मरीजों की कम संख्या को देखते हुए बंद कर दिया गया था। हालांकि इसे मार्च में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए फिर से खोल दिया गया था।
• झारखंड
झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एक भी सीटी स्कैन मशीन नहीं है। अब उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को फटकार लगाने के बाद सीटी स्कैन मशीन खरीदी जा रही हैं।
• बिहार
स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के मामले में देश में बिहार का हाल सबसे ज्यादा बेहाल है। बिहार के 38 जिलों में से केवल 10 में पांच से अधिक वेंटिलेटर हैं।